भले ही दिल्ली के दमघोंटू प्रदुषण की वजह हरियाणा व पंजाब में जलाई जा रही धान की पराली बताई जा रही हो, पर दिल्ली के आसपास के गाँव के कुछ किसान ऐसे भी हैं जो इसे जलाने की बजाय इससे कमाई कर रहे हैं.
दिल्ली के आसपास के कुछ किसान धान की पराली को एकत्रित करके उसको चारा काटने की मशीन से काटकर पशु चारे या मशरूम उगाने के कार्य में इस्तेमाल करते हैं. वहीं बहुत से किसान पराली को औद्योगिक इकाइयों में बेंच देते हैं जो सामान की पैकिंग के काम में इस्तेमाल की जाती है. दिल्ली के आसपास कुछ बड़ी गौशालाएं भी हैं, जहां चारे के लिए कटी हुई पराली को खरीदकर गायों को खिलाया जाता है, इसलिए बहुत से किसान नि:शुल्क ही इस चारे को गौशालाओं में दान कर देते हैं. इसके अलावा पराली को काट कर चारा बनाने के लिए राजस्थान से किसान यहां आते हैं. वह यहाँ के किसानों से पराली खरीदते हैं, इससे दिल्ली के किसानों की कमाई हो जाती है.
इधर प्रदुषण को लेकर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि सारी धुएं वाली हवा दिल्ली ही क्यों जाती हैं? अगर पराली ही प्रदूषण का कारण होती तो सबसे पहले प्रदूषित होने वाला शहर चंडीगढ़ होता. पराली सिर्फ दस-पंद्रह दिन के लिए जलती होगी, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण सारा साल रहता है.
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