नई दिल्ली: देशभर मे लगातार बढ़ता ही जा कोरोना वायरस की मार बढ़ते ही जा रही है. हर दिन इस वायरस की चपेट में आने से कोई न कोई मौत का शिकार हो रहा है. जंहा इस वायरस के कारण देशभर में महामारी बढ़ती जा रही है. और हर दिन संक्रमण का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है.
कोरोना के चलते आर्थिक गतिविधियों के ठप होने से आम आदमी की आमदनी प्रभावित हुई: आम आदमी पर कोविड-19 की मार बहुत गहरी पड़ी है. कोविड की वजह से आर्थिक गतिविधियों के ठप होने से आम आदमी की आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई है. SBI के मुताबिक पूरे देश में इस वर्ष प्रतिव्यक्ति औसत आय में 27 हजार रुपये कमी देखने. तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना, दिल्ली, हरियाणा, गोवा जैसे राज्यों में इसका प्रभाव और अधिक होगा और वहां औसत प्रति व्यक्ति आय 40 हजार रुपये तक कम हो सकती है.
कोविड-19 के दौरान गिरती आमदनी ने आदमी को सीमित रहने को कर दिया मजबूर: जानकारी के अनुसार मुद्रास्फीति के सरकारी आंकड़ों पर प्रश्न उठाया गया है. इसके मुताबिक लॉकडाउन के कारण नेशनल सैंपल सर्वे (NSO) का पुराना गणितीय फार्मूला मंहगाई की दर का सही अनुमान नहीं लगाया जा सका. इसमें उन वस्तुओं की कीमत को भी जोड़ा गया, जिनका उपयोग लॉकडाउन के बीच लोगों ने किया ही नहीं. लोग खाने-पीने की आवश्यक चीजों पर खर्च करते रहे, जिनकी कीमत इस बीचअधिक थी. इसके लिए SBI ने कोविड से जुड़े खुदरा मंहगाई का नया इंडेक्स तैयार किया है. इस इंडेक्स के अनुसार जुलाई में खुदरा मंहगाई की दर असल में 7.5 प्रतिशत रही, 6.9 प्रतिशत नहीं, जैसा कि NSO के डाटा में दिखाया गया है. कोरोना के बीच गिरती आमदनी के साथ मंहगाई की यह दर आम आदमी को मूल जरूरत तक सीमित रहने को मजबूर कर दिया.
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