कर्नाटक में आर्थिक संकट, नई शराब दुकानें खोलेगी कांग्रेस सरकार, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया विरोध

कर्नाटक में आर्थिक संकट, नई शराब दुकानें खोलेगी कांग्रेस सरकार, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
Share:

बैंगलोर: कर्नाटक सरकार द्वारा शराब की 500 से अधिक दुकानों को नीलामी या लॉटरी के माध्यम से खोलने के फैसले को लेकर राज्य में नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और सामुदायिक नेताओं की तीखी आलोचना हो रही है। सरकार ने इसे वित्तीय संकट से निपटने के उपाय के रूप में प्रस्तुत किया है, लेकिन कई लोगों का कहना है कि राज्य के नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण को नजरअंदाज कर, यह कदम राज्य के राजस्व को बढ़ाने का एक लापरवाह तरीका है।

सरकार का दावा है कि वह 2024-25 के राजस्व लक्ष्यों को पूरा करने में असमर्थ रही है और इस कमी को पूरा करने के लिए पुराने शराब लाइसेंसों की नीलामी की योजना बनाई जा रही है। इस पहल से 1,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह कदम शराब से जुड़ी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को बढ़ावा देगा, जिसमें घरेलू हिंसा, स्वास्थ्य विकार और सड़क दुर्घटनाएँ शामिल हैं। बेंगलुरु के सामाजिक कार्यकर्ता बी विरुपाक्ष ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि शराब की उपलब्धता बढ़ाने से समाज में पहले से ही व्याप्त शराब के दुरुपयोग और लत से जुड़ी समस्याएँ और गंभीर होंगी। कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार को लोगों की भलाई के बजाय राजस्व बढ़ाने की चिंता है।

चामराजनगर के एनके थिम्मा शेट्टी और मगदी के गवी मठ के वचनानंद स्वामी ने भी इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे सरकार की नैतिक विफलता बताया और कहा कि शराब की लत एक बीमारी है, जिसे बढ़ावा देने का काम सरकार कर रही है। उनका मानना है कि सरकार को राजस्व बढ़ाने के अन्य वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देना चाहिए, न कि शराब की बिक्री पर। इसके अलावा, कर्नाटक में बिजली और परिवहन के मोर्चे पर भी राज्य सरकार की नीतियों के परिणाम सामने आ रहे हैं। महिलाओं को फ्री यात्रा देने से कर्नाटक रोड ट्रांसपोर्ट भारी घाटे में चला गया है, जिसके कारण अब 20% किराया बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। राज्य में फ्री बिजली की गारंटी भी भारी साबित हो रही है, क्योंकि इससे बिजली आपूर्ति में कटौतियाँ होने लगी हैं, और बेल्लारी का जीन्स उद्योग बिना बिजली के ठप होने की कगार पर है।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार चुनाव के समय पर मुफ्त योजनाओं का वादा कर चुकी थी, जिनमें महिलाओं को 1,500 रुपये महीना और मुफ्त बिजली शामिल थीं। लेकिन अब ये गारंटियाँ राज्य सरकार के लिए भारी बोझ बन चुकी हैं, जैसा कि राज्य के आर्थिक सलाहकार बसवराज रायरेड्डी ने भी कहा। चुनावी वादों को पूरा करने के चक्कर में सरकार ने राज्य के विकास कार्यों को ठप कर दिया है, और अब वह इस वित्तीय संकट से निपटने के लिए पेट्रोल-डीजल पर 3 रुपये प्रति लीटर और बिजली दरें बढ़ा चुकी है।

कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या आर्थिक संकट से निपटने का यही तरीका है कि जनता को शराब के नशे में डुबो दिया जाए? अगर कांग्रेस सरकार को अंदाजा था कि राज्य में आर्थिक संकट आएगा, तो उन्होंने चुनाव के दौरान मुफ्त योजनाओं के इतने बड़े-बड़े वादे क्यों किए? क्या मुफ्त की गारंटियाँ देना आवश्यक था, अगर उन्हें आर्थिक रूप से संभाल पाना संभव नहीं था? अब घूम-फिर कर इन वादों का बोझ जनता पर ही पड़ रहा है।

शराब की दुकानों को बढ़ाने का सुझाव भी एक अमेरिकी फर्म से लिया गया है, जिसे 9.5 करोड़ रुपये की फीस देकर यह बताने के लिए नियुक्त किया गया है कि राज्य की कमाई कैसे बढ़ाई जा सकती है। हो सकता है कि शराब की दुकानें बढ़ाने का विचार उसी का हो। इस बीच, राज्य में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, और जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। जनता को यह जानने का हक है कि सरकार की प्राथमिकताएँ क्या हैं और वे उनके जीवन पर कैसे प्रभाव डाल रही हैं।

चलती बस में कंडक्टर ने किया महिला का रेप, पुलिस ने किया गिरफ्तार

सरकारी म्यूज़ियम से नेहरू-एडविना की चिट्ठियां ले गईं सोनिया गांधी, इतिहासकार रिजवान ने मांगी वापस

रात भर पिता ने की दरिंदगी, सुबह होते ही थाने पहुंची पीड़िता और फिर...

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -