नई दिल्ली : पिछले एक दशक में हर क्षेत्र ने बहुत तेजी से आर्थिक प्रगति की, तो भला राजनीतिक पार्टियां इससे कैसे अछूती रहती. इस अवधि में राष्ट्रीय पार्टियों की संपत्ति में भी बहुत तेजी के साथ कई गुना वृद्धि हुई. यह खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स की एक रिपोर्ट से हुआ.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश के सात राष्ट्रीय दलों की वर्ष 2004-05 में 61.62 करोड़ कुल संपत्ति थी , जो 2015-16 में बढ़कर 88.45 करोड़ कुल संपत्ति हो गई. बता दें कि 2008-09 व 10-11 के बीच156.51 करोड़ की वृद्धि हुई, वहीं वर्ष 2010-11 के बीच383.56 करोड़ से बढ़कर 2336.17 करोड़ हो गई .इन दलों की आय का स्रोत अचल संपत्ति ऋण और अग्रिम, एफडीआर/जमा, टीडीएस, निवेश और अन्य संपत्तियां हैं.
बता दें कि यदि पार्टी वार गणना करें तो भाजपा ने 2004-05 में 122.93 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की थी.वहीं 2015-16 में 893.88 की हो गई.2015-16 में627.15 फीसदी इजाफा हुआ. इसी तरह कांग्रेस की 2004-05 में 167.35 करोड़ की संपत्ति थी, जो 2015-16 में 758.79 करोड़ की संपत्ति हो गई. जहाँ तक राष्ट्रीय दलों की देनदारी का सवाल है, तो 2004-05 में यह 47.77 करोड़ थी .जो 2015-16 में बढ़कर 383 करोड़ की देनदारी में बदल गई.
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