नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीते शनिवार को कहा, 'राज्य सरकारें भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) जैसी संस्था द्वारा दी गई सलाह को गंभीरता से लें, जिसका सार्वजनिक सेवा वितरण मानकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।' जी दरअसल बीते शनिवार को वह राष्ट्रीय लेखा परीक्षा लेखा अकादमी में भारतीय लेखा परीक्षा लेखा सेवा के अधिकारियों के समापन समारोह में शामिल हुए। यहाँ उन्होंने एक बयान में कहा, 'पिछले 18 महीने देश के लिए बहुत कठिन रहे हैं।'
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा, 'कोविड -19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह से बाधित हुई। सरकार ने संकट को कम करने गरीबों के कल्याण के लिए विभिन्न वित्तीय उपाय किए हैं।' आपको बता दें कि समारोह के दौरान, 2018 2019 बैच के 38 अधिकारी प्रशिक्षुओं को कोविंद, राज्य के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, भारत के सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मू सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में प्रेरण प्रशिक्षण पूर्णता प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। आपको बता दें कि शिमला में राष्ट्रीय लेखा परीक्षा लेखा अकादमी भारतीय लेखा परीक्षा लेखा विभाग का शीर्ष प्रशिक्षण संस्थान है।
वहीँ इस दौरान राज्यों कार्यान्वयन निकायों से परामर्श करके योजना कार्यान्वयन में अधिक लचीलेपन का समर्थन करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा, 'इससे कार्यक्रम के परिणामों में सुधार होने की संभावना है। हालांकि, इसके साथ स्थानीय शासन स्तरों पर मजबूत वित्तीय रिपोटिर्ंग जवाबदेही ढांचे की आवश्यकता है।' इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, 'नागरिकों की सुविधा के लिए सरकारी प्रक्रियाएं तेजी से डिजिटल होती जा रही हैं। तेजी से फैलती प्रौद्योगिकी सीमा ने राज्य नागरिकों के बीच की दूरी को कम कर दिया है।' आगे उन्होंने यह भी कहा, 'प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से, पैसा कंप्यूटर बटन के पुश पर देश के सबसे दूरस्थ कोने में सबसे गरीब नागरिक तक पहुंच सकता है।'
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