भोपाल : लॉकडाउन के वजह से अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है. सरकार अब ध्वस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दे रही है. बीते दो माह में काम-धंधे चौपट होने की वजह से कर राजस्व व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. इसे संभालने के लिए क्रय शक्ति बढ़ानी जरूरी है. इसके मद्देनजर ग्रामीणों के हाथों में 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा अब तक पहुंचाए जा चुके हैं.
वहीं, मजदूरों को काम मिलने में परेशानी न हो, इसके लिए अब पंचों का यह अधिकार दे दिया गया है कि वे भी मजदूरों को काम दिला सकते हैं. अभी तक किसी ग्रामीण को मनरेगा में काम की जरूरत होती थी तो वो ग्राम प्रधान (सरपंच) को आवेदन करता था. काम दिलाने को लेकर अक्सर भाई-भतीजावाद की शिकायतें होती थीं. इतना ही नहीं अब कॉल सेंटर का विकल्प भी खोल दिया है. इसके द्वारा भी काम की मांग की जा सकती है.
बता दें की प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन के वजह से ठप आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले गेहूं की खरीदी शुरू करने का काम किया. अब तक 124 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदकर किसानों के हाथों में 22 हजार करोड़ रुपये पहुंचाए जा चुके हैं. फसल बीमा के दो हजार 990 करोड़ रुपये के अलावा मनरेगा के माध्यम से डेढ़ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की मजदूरी का भुगतान किया गया है. प्रदेश में अभी 24 लाख 62 हजार से ज्यादा मजदूर काम कर रहे हैं. हालांकि यह एक रिकॉर्ड है.
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