रांची: झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कई महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। जांच के दौरान गिरफ्तार किए गए घुसपैठियों के मोबाइल फोन की जांच से यह खुलासा हुआ कि बांग्लादेशियों को भारत में घुसपैठ कराने के बाद उन्हें देह व्यापार और भारत के खिलाफ साजिशों में शामिल किया जाता था। इसके अलावा, मोबाइल चैट से पैसों के लेन-देन की जानकारी भी सामने आई है, जिसमे विदेशी फंडिंग भी शामिल है।
ईडी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 31 मई को बांग्लादेश से दो मुस्लिम युवतियों, निपा अख्तर और हसा अख्तर को नौकरी दिलाने के नाम पर अवैध तरीके से पश्चिम बंगाल भेजा गया था। वहां इन दोनों को भारतीय दलालों ने आधार कार्ड और वोटर कार्ड दिए, जिसमें इन्हें हिन्दू नाम दिए गए। इसके बाद, 3 जून को ये युवतियां कोलकाता से रांची पहुंची, जहां इनकी मुलाकात झुमा से हुई, जो पहले से उनका इंतजार कर रही थी। रांची में इनके लिए एक रिसॉर्ट बुक किया गया था, जहां 4 जून को पुलिस ने छापा मारा और तीन बांग्लादेशी युवतियों को गिरफ्तार किया। हालांकि, झुमा भागने में सफल रही और अब ईडी उसकी तलाश कर रही है।
12 नवंबर को ईडी ने रांची, पाकुड़ और पश्चिम बंगाल के कोलकाता तथा 24 परगना जिलों में 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान रांची के विभिन्न ठिकानों पर तलाशी ली गई, जिसमें फर्जी आधार कार्ड, जाली पासपोर्ट, अवैध हथियार, नकदी, आभूषण, प्रिंटिंग पेपर और आधार कार्ड बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए प्रोफार्मा बरामद किए गए थे। 16 सितंबर को ईडी ने बांग्लादेशी महिलाओं की तस्करी और घुसपैठ के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की थी, जिसमें आरोप था कि इस अपराध से काले धन को उत्पन्न किया जा रहा था।
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