जयपुर: राजस्थान में हाल की घटनाओं की एक श्रृंखला ने राज्य को राजनीतिक और कानूनी उथल-पुथल में उलझा दिया है। इस गाथा में केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) के छापे, एक ED अधिकारी से जुड़े रिश्वतखोरी के आरोप और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा की गई कार्रवाई शामिल हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के यहां ED का छापा:-
ED ने बीते दिनों राजस्थान में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के परिसरों पर छापेमारी के साथ घटनाओं की श्रृंखला शुरू की। डोटासरा के घर पर राजस्थान पेपर लीक से जुड़े मामले में तलाशी ली गई थी, जिससे कांग्रेस सरकार भड़क गई थी।
सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत से ED ने की पूछताछ:-
इसके बाद ED ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत के बेटे वैभव गेहलोत को पूछताछ के लिए बुलाया। यह पूछताछ विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) से संबंधित एक मामले से संबंधित है, जिससे राज्य में राजनीतिक हलचल मच गई है। सीएम गहलोत इस घटना से आगबबूला हो गए थे और उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि, देश में आवारा कुत्तों से ज्यादा ED घूम रही है।
अब ED अधिकारी नवल किशोर मीणा के खिलाफ राजस्थान ACB की कार्रवाई:-
राजस्थान सरकार में ED के खिलाफ गुस्सा और असंतोष तो बढ़ ही रहा था, इसी बीच राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए नवल किशोर मीना नामक ED अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की। मीना पर एक बिचौलिए के जरिए 15 लाख रुपये की बड़ी रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया है। इस घटनाक्रम ने राज्य में चल रहे कानूनी परिदृश्य को और जटिल बना दिया है। ED में प्रवर्तन अधिकारी के पद पर रहते हुए नवल किशोर मीणा पर 15 लाख रुपये की भारी रिश्वत मांगने का आरोप लगा। इस रिश्वत का कथित उद्देश्य चिटफंड से जुड़े एक मामले को बंद करना, संपत्ति की कुर्की को रोकना और आसन्न गिरफ्तारी से बचना था।
राजस्थान ACB का आधिकारिक बयान:-
राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए प्रवर्तन अधिकारी नवल किशोर मीना और उनके सहयोगी बाबूलाल मीना की गिरफ्तारी की पुष्टि की। उन्हें खैरथल तिजारा जिले के मुंडावर क्षेत्र में रिश्वतखोरी अभियान के दौरान हिरासत में लिया गया। ACB के अतिरिक्त महानिदेशक, हेमंत प्रियदर्शी ने खुलासा किया कि शिकायतकर्ता ने एक रिपोर्ट दर्ज की थी, जिसमें बताया गया था कि कैसे नवल किशोर मीणा ने इंफाल में ED द्वारा दर्ज चिट फंड मामले को सुलझाने के लिए 17 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि रिश्वत यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि संपत्ति की कुर्की और गिरफ्तारी से बचने के लिए मामले को आगे नहीं बढ़ाया जाए। नतीजतन, नवल किशोर मीणा को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते समय गिरफ्तार कर लिया गया है।
ED की कार्रवाइयों, राजनीतिक पूछताछ और उसके बाद एक ED अधिकारी की गिरफ्तारी से चिह्नित राजस्थान में उभरती स्थिति, भ्रष्टाचार के आरोपों और उनके नतीजों के बारे में महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा करती है। राज्य खुद को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पाता है, और जांच आगे बढ़ने के साथ और विकास की उम्मीद है। वो भी ऐसे समय में राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है, ऐसे में इन घटनाक्रमों के राजनितिक असर भी जरूर होंगे।
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