नई दिल्ली: आम जनता को बड़ी राहत देते हुए केंद्र सरकार ने रिफाइंड सोयाबीन और सनफ्लॉवर ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी आज यानी गुरुवार (15 जून) से घटा दी है. इससे आगामी दिनों में घरेलू बाजार में तेल की आपूर्ति बढ़ाने में सहायता मिलेगी, जिससे खाने के तेल के दाम गिरावट आ सकती है. बता दें कि, सरकार ने सोयाबीन और सनफ्लॉवर तेल पर आयात शुल्क 5 फीसद घटाते हुए 17.5 फीसद से 12.5 फीसद कर दिया है.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है. बता दें कि, अमूमन भारत में ‘कच्चा’ सोयाबीन और सनफ्लॉवर ऑयल इम्पोर्ट किया जाता है, फिर उसे घरेलू स्तर पर ही रिफाइंड बनाया जाता है. इसके बावजूद सरकार ने रिफाइंड सोयाबीन और सनफ्लॉवर तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती की है. आयत शुल्क में इस कटौती के साथ ही अब रिफांइड खाद्य तेल पर आयात शुल्क 13.7 फीसद रह गया है. इसमें सोशल वेलफेयर के लिए वसूला जाने वाला उपकर (सेस) भी जुड़ा हुआ है. वहीं हर प्रकार के कच्चे खाद्य तेल पर प्रभावी आयात शुल्क 5.5 फीसद होगा.
सरकार के इस कदम पर सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी. वी. मेहता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इससे बाजार की धारणा पर अस्थायी प्रभाव पड़ेगा, मगर अंतत: ये विदेशों से रिफाइंड तेल के इम्पोर्ट को बढ़ावा देगा, जो घरेलू उत्पादकों को नुकसान पहुंचाएगा. मेहता ने कहा कि सरकार के आयत शुल्क घटाने की मूल वजह खाद्य तेलों के दामों को नियंत्रण के दायरे में रखना है. भले कच्चे और रिफाइंड तेलों पर इम्पोर्ट ड्यूटी में बहुत मामूली अंतर हो, रिफाइंड तेल का आयात कम होने की संभावना है. इसकी वजह वाणिज्यिक रूप से इसका व्यवहारिक नहीं होना है. अभी देश में रिफाइंड सोयाबीन और सनफ्लॉवर ऑयल का इम्पोर्ट नहीं किया जाता है. फिर भी सरकार ये कदम बाजार को अस्थायी तौर पर प्रभावित अवश्य कर सकता है. वैसे भी इस साल मानसून देरी से भारत पहुंचेगा, जिसके चलते तिलहन की बुवाई में भी देरी हो सकती है.
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