क्या कोई विधायक गरीब हो सकता है? यह सोचकर ही आपको लग रहा है कि ऐसा हो ही नहीं सकता। देश की एक विधानसभा का विधायक और गरीब। यह दो विरोधाभासी शब्द लगते हैं। एक विधायक बनते ही नेताओं के पास सुख—सुविधाओं की लाइन लग जाती है। विधायक तो दूर किसी वार्ड का पार्षद बनने पर ही नेताओं के परिवार के वारे—न्यारे हो जाते हैं। लेकिन इन सबके बीच एक विधायक ऐसी हैं, जो नेताओं के लिए एक मिशाल की तरह हैं। यह देश की सबसे गरीब विधायक हैं।
जी, दरसअल, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के सारंगगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक केराबाई मनहर की। केराबाई को 2013 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सारंगढ़ से टिकिट दिया था। केराबाई ने इन चुनावों में कांग्रेस की नेता पद्मा मनहर को 15 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। केराबाई को देश का सबसे गरीब विधायक बताया जा रहा है। दरअसल, उनके पास आय का कोई अतिरिक्त संसाधन नहीं है। विधायक के तौर पर मिलने वाली तनख्वाह ही उनकी आय का साधन है। एक रिपोर्ट के अनुसार, केराबाई की सालाना आय 5 लाख 40 हजार रुपये है, जो राष्ट्रीय स्तर पर औसत आय से कम है। रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि केराबाई पिछले पांच साल से विधायक हैं और उन्होंने तनख्वाह को ही अपनी पूंजी माना है और विधायक पद का कभी भी दुरुपयोग नहीं किया।
दरअसल, केराबाई के पिता शिक्षक थे, उनकी जमीन भी है, लेकिन उससे कोई भी आमदनी नहीं होती है। उनका पूरा परिवार सारंगढ़ के एक छोटे से गांव में रहता है। उनकी छवि एक ईमानदार विधायक के तौर पर जानी जाती है। भाजपा ने इस बार भी केराबाई को ही सारंगढ़ से टिकिट दिया है।
यहां अगर हम बात करें, हमारे नेताओं की, तो कोई भी छोटे से छोटे नेता के पास भी करोड़ों की ज्यादात होती है, ऐसे में केराबाई भ्रष्ट नेताओं को एक आईना दिखाती हैं। केराबाई विधानसभा चुनाव जीतती हैं या नहीं यह तो 11 दिसंबर को ही पता चलेगा, लेकिन उनकी जीवनशैली नेताओं के लिए एक सीख तो है ही। अब देखना यह है कि हमारे देश के राजनेता केराबाई से कोई प्रेरणा लेते हैं या फिर भ्रष्ट राजनीति में उन्हें भी लपेटे में ले लेते हैं।
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