प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता मिशन पार्ट—2 की शुरुआत कर दी है। इसे शुरू करते हुए पीएम मोदी ने स्वच्छता को लेकर लोगों से स्वच्छ भारत बनाने की अपील की। पीएम मोदी के स्वच्छता कार्यक्रम को शुरू हुए चार साल हो चुके हैं और आंकड़ों में भारत को स्वच्छ देश भी मान लिया गया है। भारत के कई शहर स्वच्छ घोषित हो चुके हैं। इनमें से इंदौर पिछले दो सालों से लगातार स्वच्छता में अव्वल आ रहा है।
स्वच्छता को लेकर जिस तरह मुहिम चलाई जा रही है, जिस तरह कई मौकों पर हमारे नेता झाड़ू लिए दिखते हैं। पीएम मोदी भी कई बार सड़कों पर झाड़ू लगाते नजर आए हैं, तो इसे देखकर तो यही लगता है कि सच में देश स्वच्छता की राह पर चल पड़ा है और अब देश में इतनी सफाई होने लगी है कि जल्द ही पूरा देश विदेशों की तरह साफ—सुथरा नजर आएगा। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू तो कुछ और ही कहानी कहता है।
अगर आंकड़ों पर ध्यान दें, तो आज भी देश में हर साल 6 लाख बच्चों की मौत की वजह गंदगी है। वहीं देश में हर साल 62 मिलियन टन कचरा पैदा होता है और इसमें से केवल 43 मिलियन टन कचरा जमा हो पाता है, बाकी कचरा यूं ही पड़ा रहता है। अब सोच सकते हैं कि इससे पर्यावरण का क्या हाल होता होगा। आंकड़े तो यह भी कहते हैं कि पिछले पांच सालों में कचरा तीन गुणा तक बढ़ गया है। यह आंकड़े भयावह हैं।
अगर गंभीरता से विचार किया जाए, तो स्वच्छता को लेकर पीएम मोदी की जो मुहिम है, उसने कुछ हद तक प्रभावित तो किया है, लेकिन अभी भी देश के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। इसके लिए अकेली सरकार नहीं बल्कि हम सब जिम्मेदार है। सरकार जब भी कोई योजना चलाती है, तो देश के नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे उसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। अगर हम चाहते हैं कि भारत पूरी तरह स्वच्छ देश बने, तो हम सबको प्रयास करना होगा। न केवल अपने घर और आस—पास सफाई करनी होगी, बल्कि अपने प्रयासों से अन्य लोगों को भी प्रेरित करना होगा, तभी स्वच्छ भारत—स्वस्थ भारत का सपना साकार हो सकेगा।
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