नई दिल्ली: हिन्दू देवी-देवताओं का खुलेआम अपमान करने वाले AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी पर ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI)’ का लंबा-चौड़ा बयान सामने आया है। इसमें ज़ुबैर की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए एडिटर्स गिल्ड ने दिल्ली पुलिस से मोहम्मद जुबैर को फ़ौरन रिहा किए जाने की माँग की है। EGI ने अपने बयान में कहा है कि, 'घटनाओं को विचित्र मोड़ देते हुए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मोहम्मद जुबैर को पूछताछ के लिए तलब किया था। ये 2020 का मामला था, जिसमें हाई कोर्ट ने उन्हें गिरफ़्तारी से राहत प्रदान की हुई है। जब जुबैर ने समन पर प्रतिक्रिया दी तो उन्हें इसी महीने शुरू की गई एक आपराधिक जाँच के अंतर्गत अरेस्ट कर लिया गया। एक अज्ञात पहचान और ट्विटर हैंडल ने उनके 2018 के एक ट्वीट पर धार्मिक भावनाएँ भड़काने का इल्जाम लगाया था।'
The Editors Guild of India condemns the arrest of Muhammad Zubair, co-founder of the fact checking site AltNews, by the Delhi Police on June 27, for a tweet from 2018. EGI demands that the Delhi Police should immediately release Muhammad Zubair. pic.twitter.com/q9uYqFxaPA
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) June 28, 2022
EGI ने अपने बयान में कहा है कि IPC की धारा 153 और 295 लगा कर मोहम्मद जुबैर को अरेस्ट करना, बेहद आकुल करने वाला है, क्योंकि उसकी वेबसाइट AltNews ने बीते कुछ समय में फेक न्यूज़ को चिह्नित करने में ‘मिसाल बनने वाले’ कार्य किए हैं और ‘दुष्प्रचार अभियानों को काटा’ है। EGI ने दावा किया है कि ज़ुबैर ने ये सब तथ्यात्मक और वस्तुनिष्ठ तरीके से किया है। साथ ही EGI ने कहा है कि ज़ुबैर ने टीवी पर सत्तारूढ़ पार्टी के एक प्रवक्ता के ‘ज़हरीले बयान’ का खुलासा था, जिस वजह से पार्टी को बदलाव करना पड़ा था। लेकिन, इन सबके बीच एक बड़ा सवाल है जो EGI पर उठता है, वो ये कि जब जुबैर खुद कह चुके हैं कि वो पत्रकार नहीं है, फिर उसके लिए EGI को दलीलें देने की क्या जरूरत आन पड़ी ? बता दें कि कुछ समय पहले, रिपब्लिक TV के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की मुंबई पुलिस द्वारा की गई गिरफ़्तारी पर यही EGI का खानापूर्ति वाला बयान सामने आया था। जिसमे EGI ने बस ये कहा था कि, पुलिस अर्नब के साथ अच्छा व्यवहार करे। न तो EGI ने उनकी रिहाई की मांग की थी, और न ही यह पुछा गया था कि अर्नब को किन आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि, एक पत्रकार (Editor In Chief) की गिरफ़्तारी पर EGI का रवैया अलग रहता है, वहीं एक गैर-पत्रकार (ज़ुबैर खुद कह चुके हैं कि वे पत्रकार नहीं हैं) की गिरफ़्तारी पर हल्ला मचाने लगता है, क्यों ?
The Editors Guild of India has issued a statement on the arrest of Arnab Goswami, editor-in-chief of Republic TV. pic.twitter.com/gL3MstVlla
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) November 4, 2020
यहाँ तक कि अपने बयान में EGI ने ज़ुबैर के हिन्दू विरोधी पोस्ट्स का भी जिक्र नहीं किया है, न ही उनके द्वारा फैलाई गई फर्जी ख़बरों का। जबकि EGI पत्रकारिता से जुड़ी एक सम्मानित संस्था है। लेकिन इस दोहरे रवैए ने ये सवाल खड़े कर दिए हैं कि, क्या EGI फर्जी ख़बरें फ़ैलाकर समुदायों में दुश्मनी फैलाने वाले ज़ुबैर का समर्थन करता है ? या फिर कुछ सियासी दलों के लिए ही आवाज़ उठाने को अपना कर्म समझता है ? जिस जुबैर ने शिवलिंग के अपमान वाली बात छिपाकर केवल नूपुर शर्मा का वीडियो एडिट कर अरब देशों तक पहुँचाया, क्या ये पत्रकारिता है ? यदि वो सच्चा फैक्ट चेकर है, तो पूरा वीडियो डालते, जिसमे पहले मुस्लिम पैनेलिस्ट शिवलिंग को लेकर लगातार अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे और नूपुर शर्मा ने अपने आराध्य का अपमान न सह पाने के कारण पलटवार में पैगम्बर पर टिप्पणी कर दी। इस तरह तो आपको यदि कोई मारे तो उसे पलटकर मारने में आप ही अपराधी हो जाएंगे और यही ज़ुबैर ने किया भी। अगर नूपुर ने गलत बयान दिया है तो वो एक गलत बयान के जवाब में दिया है, तो पहला अपराधी कौन हुआ ? लेकिन लगता है EGI भी एक ही नज़र से देखने लगा है और दुनिया को भी वही दिखाना चाहता है। यदि नूपुर का पूरा वीडियो मीडिया पर चलाया गया होता तो देश के मुस्लिमों से लेकर इस्लामी देशों को भी पता चल जाता कि धर्म पर विवादित बयानबाज़ी किसकी तरफ से शुरू हुई थी। क्या EGI उस एडिटेड वीडियो की वजह से दुनियाभर में भारत पर लगे बेबुनियाद आरोपों के लिए जुबैर से सवाल करेगा ? अगर EGI जुबैर से सवाल नहीं पूछ सकता तो एकतरफा बयानबाज़ी करना बंद कर देना चाहिए।
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