पटना: बिहार के बहुचर्चित और विवादित आईएएस अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई निरंतर तेज हो रही है। मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के मामलों में आरोपों का सामना कर रहे संजीव हंस के खिलाफ एक के बाद एक बड़े खुलासे हो रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने अब उनकी कुल 7 संपत्तियों को अटैच कर लिया है। ये संपत्तियां दिल्ली, नागपुर एवं जयपुर जैसे प्रमुख शहरों में स्थित हैं, जिनकी कुल अनुमानित कीमत 23 करोड़ 72 लाख रुपये है।
सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ा कदम उठाते हुए संजीव हंस की जब्त की गई संपत्तियों की जानकारी साझा की। इनमें नागपुर में तीन प्लॉट, दिल्ली में एक फ्लैट और जयपुर में तीन फ्लैट्स सम्मिलित हैं। जांच में यह बात सामने आई कि ये संपत्तियां संजीव हंस ने बड़े ही चालाक तरीके से अपने सहयोगियों एवं व्यापारिक साझेदारों के नाम पर रजिस्टर्ड करवाई थीं। इन संपत्तियों का मालिकाना हक ऊर्जा विभाग में ठेकेदारी करने वाले प्रवीण कुमार चौधरी, कोलकाता के कारोबारी पुष्पराज बजाज और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर दर्ज था।
संपत्तियों को लेकर जांच का विस्तार
प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई से पहले 6 दिसंबर को पटना स्थित ईडी कार्यालय में संजीव हंस की पत्नी मोना हंस और उनके साले से पूछताछ की गई थी। तीन घंटे तक चली इस पूछताछ के चलते प्रवर्तन निदेशालय को कई अहम जानकारियां और सबूत मिले, जिनके आधार पर आगे की कार्रवाई की गई। प्रवर्तन निदेशालय ने इन संपत्तियों को पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत अटैच किया है।
संजीव हंस और उनके सहयोगियों का नेटवर्क
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया है कि संजीव हंस ने अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित की। इस प्रक्रिया में उन्होंने अपने करीबी सहयोगियों एवं व्यापारिक साझेदारों के नाम का उपयोग किया। मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में संजीव हंस के साथ-साथ राजद के पूर्व MLA गुलाब यादव, प्रवीण कुमार चौधरी और पुष्पराज बजाज को भी आरोपी बनाया गया है। सभी आरोपियों के खिलाफ पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया गया है तथा वे फिलहाल पटना के बेऊर जेल में बंद हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति का मामला
प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में पाया कि संजीव हंस और उनके सहयोगी ठेकेदार प्रवीण कुमार चौधरी के माध्यम से सरकारी परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर रहे थे। ठेके आवंटन से लेकर भुगतान प्रक्रिया तक, हर स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया। इसी भ्रष्टाचार से अर्जित पैसे को अघोषित संपत्तियों में निवेश किया गया।
प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में न केवल संजीव हंस, बल्कि उनके परिवार और रिश्तेदारों की भूमिका की भी तहकीकात की। पत्नी मोना हंस और उनके साले को पूछताछ के लिए बुलाया गया, जिससे संजीव हंस के अवैध लेन-देन की गहराई को समझा जा सके। यह पहली बार नहीं है जब उनकी पत्नी का नाम भ्रष्टाचार के मामलों में सामने आया है। कहा जा रहा है कि उनके परिवार के सदस्यों ने उनकी अवैध गतिविधियों को छिपाने में सहयोग किया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने जिन संपत्तियों को जब्त किया है, उनकी कुल कीमत करीब 23.72 करोड़ रुपये आंकी गई है। इनमें नागपुर में स्थित तीन भूखंड, दिल्ली के पॉश इलाके में एक फ्लैट और जयपुर में तीन महंगे फ्लैट शामिल हैं। इन संपत्तियों को संजीव हंस ने बेहद सुनियोजित तरीके से अपने नाम करवाया था, ताकि कानून की नजरों से बचा जा सके।