ऋषिकेश: आज हमारे देश की शिक्षा नीति काफी ख़राब होती जा रही है. जहां एक और हमने पूरी दुनिया को शिक्षा का पाठ पढ़ाया, वही आज हम इस क्षेत्र में पिछड़ते जा रहे है. यह काफी गहराई की और चिंताजनक बात है. फिहाल ऋषिकेश में एक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन चल रहा है. जिसमे कथावाचक विजय प्रसाद मैठाणी ने भी इस विषय पर काफी जोर डाला. और उन्होंने बताया कि यदि मासूम छोटे बच्चो को पल भर भी खिलौने से दूर रखा जाये, तो बच्चे का मन नहीं लगता है. और बच्चा रोने लगता है.
ठीक इसी प्रकार बच्चा जब बड़ा होने लगता है, और उसे संस्कार न दिए जाये, तो बच्चे को पूरी जिंदगी रोना पड़ता है. कल शुक्रवार को राजीव ग्राम 14 बीघा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक विजय प्रसाद मैठाणी ने ध्रुव व भक्त प्रह्लाद का प्रसंग सुनाकर पंडाल में बैठे समस्त श्रद्धालुओं-भक्तो को भाव-विभोर कर दिया. उन्होंने आगे कहा कि ध्रुव की माता सुनीति कि यह इच्छा थी कि उनके पुत्र को चाहे राज पाठ, सिंहासन मिले या न मिले. परन्तु पुत्र को संस्कार अवश्य मिलने चाहिए.
विजय प्रसाद मैठाणी ने आगे कहा कि माता कयाधु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को ऐसे संस्कार दिए कि भगवान विष्णु स्वयं नरसिंह रूप में प्रकट हुए. ठीक ऐसे ही हमें भी अपने बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ संस्कार अवश्य देने चाहिए. संस्कारवान बच्चे कभी जीवन में गलत मार्ग पर नहीं जा सकते. ऐसे बच्चो की ईश्वर स्वयं मदद करते है. उन्हें सद्बुद्धि प्रदान करते है. श्रीमद्भागवत कथा के आयोजन के पवित्र अवसर पर आचार्य नीरज कांडपाल, अर¨वद मैठाणी, सुंदरलाल उनियाल, सुरेंद्र भंडारी, श्याम ¨सह रावत, विनोद बिजल्वाण, महावीर खरोला, उर्मिल रतूड़ी, शशि कंडारी आदि उपस्थित रहे.
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