देहरादून: RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि स्कूली शिक्षा तभी फलदायी होती है जब उसका इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति शिक्षा का सही उपयोग नहीं करता है, तो उससे कोई खास लाभ नहीं होता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई महान व्यक्तियों ने स्कूल में शिक्षा न प्राप्त करने के बाढ़ भी समाज को महत्वपूर्ण दिशा दी।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुवानी में शेरसिंह कार्की सरस्वती विहार की इमारत के उद्घाटन के पश्चात् संघ कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने जोर देकर कहा कि स्कूल एवं कॉलेजों में प्राप्त शिक्षा का मुख्य उद्देश्य समाज की भलाई के लिए उसका इस्तेमाल करना होना चाहिए। भागवत ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को विद्या भारती के शिक्षा मॉडल को बढ़ावा देना चाहिए, जो न सिर्फ व्यक्तिगत एवं पारिवारिक भलाई के लिए, बल्कि समग्र समाज की भलाई के लिए शिक्षा प्रदान करता है। उन्होंने यह भी कहा कि संस्कार ही समाज को मजबूती प्रदान करते हैं तथा समाज सर्वोपरि है।
मोहन भागवत ने आगे कहा कि दुनिया में कोई भी सरकार युवाओं को सिर्फ 10 प्रतिशत नौकरियां ही दे सकती है, जबकि बाकी रोजगार एवं व्यवसाय समाज की ताकत से उत्पन्न होते हैं। उनका मानना है कि हमारा प्रदेश अतीत में समृद्ध रहा है एवं समाज की मजबूती के साथ भविष्य में भी ऐसा रहेगा। समाज ही हमें यह सिखाता है कि एक उद्देश्यपूर्ण जीवन कैसे जीना चाहिए। मोहन भागवत ने यह भी कहा कि उत्तराखंड तपोभूमि है, जहां साल भर हजारों ऋषि तपस्या करते रहते हैं। उनकी तपस्या का फल हमेशा आसपास के लोगों को आलोकित करता है। भागवत उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के दौरे पर हैं तथा शनिवार रात चंपावत से पिथौरागढ़ पहुंचे हैं।
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