दक्षिण एशियाई देशों में ईद पर कोविड संक्रमण का प्रभाव देखने को मिल रहा है। ईद उल फित्र और बकरीद दुनिया भर में मुस्लिम आबादी के लिए दो सबसे बड़े त्योहार हैं। ये निरंतर दूसरा वर्ष है जब ईद उल फित्र पर कोरोना संक्रमण और पाबंदी का का प्रभाव देखने को मिला है।
इंडिया में कोरोना का संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से देश के अधिकांश हिस्सों में लॉकडाउन लागू है। बाज़ार वीरान पड़े हैं और आम लोगों के आने जाने पर पाबंदी लगा चुके है, इसके चलते दुकानदारों की आजीविका पर बुरा प्रभाव हो रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार दुकानदारों को अच्छे क़ारोबार की उम्मीद थी लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सबको सदमे में डाल दिया है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते केस को देखकर लोगों से घरों पर ही ईद की नमाज अदा करने की मांग की है। नई दिल्ली के फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ। मुफ़्ती मोहम्मद मुकर्रम ने मीडिया के माध्यम से बताया गया है कि "अस्पतालों में बेड नहीं है, दवाएँ और वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए मैंने लोगों से घरों में ही नमाज पढ़ने की मांग कर चुके है।"
पाकिस्तान में भी कम है रौनक: जंहा इस बात का पता चला है कि केवल इंडिया में नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी ईद से पहले सख़्त पाबंदियां जारी की जा चुकी है। जंहा पाक के प्रमुख टीवी चैनल जियो टीवी न्यूज़ की वेबसाइट के अनुसार 11 मई तक कोरोना वायरस के संक्रमण से पाकिस्तान में 19 हज़ार से अधिक लोगों की जान चली गई है।
पाकिस्तान गवर्नमेंट ने 8 से 16 मई के मध्य पूरी तरह लॉकडाउन का एलान कर दिया गया है । हालांकि प्रमुख शहरों में ईद को लेकर लोग ख़रीददारी करते नज़र आए। जंहा इस बात का पता चला है कि लाहौर के कुछ दुकानदारों का इंटरव्यू किया है जिनकी शिकायत है कि कोरोना के चलते ख़रीददारी पर असर पड़ा है। यही स्थिति पाकिस्तान की व्यवसायिक राजधानी कराची में भी देखने को मिली।
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