इस देश में नहीं मनाई जाती ईद-मिलाद-उन नबी, जानिए वजह

इस देश में नहीं मनाई जाती ईद-मिलाद-उन नबी, जानिए वजह
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आज दुनियाभर में कई मुसलमान ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का त्योहार मनाने में व्यस्त हैं। इस्लाम धर्म के अनुयायी इस दिन को विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं क्योंकि आज के दिन ही पैगंबर मुहम्मद का जन्म हुआ था। भारत में इसे ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ या ‘मावलीद-उन-नबी’ के नाम से जाना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार रबी उल अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है।

दुनियाभर में जश्न: इस खास दिन पर दुनियाभर के मुसलमान जश्न मनाते हैं। सड़कें सजाई जाती हैं, परेड निकाली जाती है, और मस्जिदों व घरों को रंग-बिरंगे लाइट्स और सजावट से सजाया जाता है। हालांकि, आपको जानकर हैरानी होगी कि कई मुस्लिम देशों में इस त्योहार को मनाने की प्रथा नहीं है और यहां कोई जश्न भी नहीं होता।

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी न मनाने का कारण: कुछ मुस्लिम समुदाय ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को धूमधाम से मनाते हैं, जबकि अन्य इसे जश्न के रूप में नहीं मानते। इसका मुख्य कारण यह है कि कुरान में कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि हमें मौलिद अल-नबी या पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन को मनाना चाहिए। पैगंबर मुहम्मद ने न तो अपने जीवनकाल में ऐसा कोई उत्सव मनाया और न ही किसी को ऐसा करने की सलाह दी।

इस्लामिक विद्वानों का कहना है कि पैगंबर ने अपने जन्मदिन को इबादत और प्रार्थना के दिन के रूप में बिताने पर जोर दिया। सलाफी और वहाबी जैसे मुस्लिम समुदाय इस त्योहार को नहीं मानते। उनका मानना है कि पैगंबर ने अपने जीवनकाल में कभी भी जन्मदिन मनाने की बात नहीं की, इसलिए हमें भी ऐसा नहीं करना चाहिए।

सऊदी अरब और कतर का विरोध: जहां एक ओर कई मुस्लिम देश ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को बड़े धूमधाम से मनाते हैं, वहीं सऊदी अरब और कतर जैसे देश इस प्रथा का विरोध करते हैं। उनका मानना है कि पैगंबर के जन्मदिन को मनाने का कोई भी प्रामाणिक रिकॉर्ड नहीं है। हदीस की प्रमुख 6 किताबों में भी इस दिन के मनाए जाने का कोई जिक्र नहीं मिलता। हालांकि, कुछ हदीस में बताया गया है कि पैगंबर मुहम्मद का जन्म सोमवार को हुआ था, लेकिन इसके अलावा कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है।

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन क्या करें?: इस खास दिन पर मुसलमानों को कुछ विशेष कार्य करने की सलाह दी जाती है:

जकात देना: गरीबों की मदद के लिए जकात देना एक महत्वपूर्ण कार्य है।
भोजन का वितरण: गरीबों में भोजन बांटना और उनकी मदद करना सवाब का काम माना जाता है।
नमाज अदा करना: मस्जिदों और घरों में पांचों वक्त की नमाज अदा करनी चाहिए।
पैगंबर के गुणों का प्रचार: पैगंबर मुहम्मद के जीवन, गुणों, और शिक्षाओं के बारे में लोगों को बताना चाहिए।
माना जाता है कि पैगंबर मुहम्मद को थारीड (मांस और सब्जी का शोरबा) काफी पसंद था, जिसे कुरकुरी रोटी के साथ परोसा जाता था।

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