हिंदू पंचांग में बताया गया है कि एकादशी तिथि श्री विष्णु भगवान के पूजन हेतु अत्यंत शुभ तिथि होती है। जी हाँ, यह तिथि हर महीने के दो पक्षों कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष के दौरान आती है और इन दोनों चंद्र पक्षों का ग्यारहवां चंद्र दिन ही एकादशी कहलाता है। आप सभी जानते ही होंगे एकादशी के दिन अधिकांश हिंदू भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। जी दरसल एकादशी व्रत और समय उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो भगवान श्री विष्णु की पूजा करते हैं तथा वैष्णव संप्रदाय से जुड़े होते हैं। आप जानते ही होंगे एकादशी के दिन, भक्त सख्त उपवास रखते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही अपना उपवास को पूर्ण किया जाता है।
वहीँ हिंदू धर्म के अनुसार, जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें अशुभ ग्रहों के प्रभाव से छुटकारा, सुख का आशीर्वाद और मोक्ष प्राप्त होता है तथा मन की शांति प्राप्त होती है। वहीँ कई बार एकादशी का व्रत लगातार दो दिन करने की सलाह दी जाती है, यह सलाह इस कारण से दी जाती है क्योंकि स्मार्त को परिवार के साथ पहले दिन ही उपवास रखना चाहिए तथा वैकल्पिक एकादशी उपवास, जो दूसरा है, जिसे संन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष चाहने वालों के लिए सुझाया गया है। स्मार्त के लिए एकादशी उपवास, वैष्णव एकादशी उपवास के दिन के साथ मेल खाता है।
हालाँकि कई बार लोगों के मन में सवाल होता है कि एकादशी का व्रत कब से आरम्भ करें तो हम आपको बता दें कि अगर आप एकादशी का व्रत आरम्भ करने के बारे में सोच रहे हैं तो उत्पन्ना एकादशी से एकादशी व्रत का आरंभ करें। जी दरअसल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है और इसी एकादशी के दिन से एकाशी व्रत का आरंभ करना सबसे उत्तम माना गया है। ऐसे में जो भक्त एकादशी का व्रत पूरे वर्ष करना चाहते हैं, उन्हें मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी से व्रत की शुरुआत करनी चाहिए।
एकादशी व्रत मंत्र
विष्णु मंत्र: ऊं नमो भगवते वासुदेवाय:
कृष्ण महा-मंत्र: हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे।
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