देहरादून: चारधाम यात्रा में प्रतिदिन तीर्थयात्रियों की मौतें हो रही है। अब तक मृतकों का आँकड़ा 28 हो गया है। वृद्ध तीर्थयात्रियों की जान पर यात्रा भारी पड़ रही है। 60 वर्ष से ऊपर उम्र के 13 यात्रियों की मौतें हुई है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा ने कहा कि यात्रा के चलते जो भी मौतें हुई हैं, वह पैदल रूट पर हुईं। दिल का दौरा पड़ने व अन्य बीमारियों की वजह से मौत हो रही हैं। किसी भी यात्री की चिकित्सालयों में मौत नहीं हुई है। चारधाम यात्रा मार्ग के अस्पतालों व मेडिकल कैंपों में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।
रुद्रप्रयाग, चमोली व उत्तरकाशी जिलों से आई रिपोर्ट के मुताबिक, 60 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग में 13 यात्रियों की मौत हुई है जबकि 50 से 60 आयु वर्ग में सात, 40 से 50 आयु वर्ग में चार तथा 30 से 40 आयु के तीन तीर्थयात्रियों की मौत हुई है। महानिदेशक ने कहा कि परिवार वालों की इच्छा के मुताबिक, पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। कई मृतकों के परिजन पोस्टमार्टम नहीं करना चाहते हैं। जिनके पोस्टमार्टम में मौत की सही वजहों का पता नहीं लग पाता है, उनका बिसरा सुरक्षित रखा जा रहा है।
वही चारधाम के दुर्गम मार्ग मनुष्य ही नहीं जानवरों की जान पर भी भारी पड़ रही है। चारधाम यात्रा पर अभी तक 28 भक्तों की मौत हो चुकी है, वहीं लगभग 25 घोड़े और खच्चर भी दम तोड़ चुके हैं। घोड़े, खच्चरों की मौत से संचालक दहशत में हैं। वहीं पशु चिकित्साधिकारी क्षमता से ज्यादा कार्य को जानवरों की मौत की वजह बता रहे हैं। यमुनोत्री पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों के साथ ही अब घोड़े खच्चरों की मौत के मामले भी सामने आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि बीते 10 दिनों में पैदल मार्ग पर 10 घोड़े खच्चरों की भी मौत हुई है। स्थानीय निवासियों तथा घोड़ा-खच्चर संचालक इन मौतों की वजह यमुनोत्री धाम के दुर्गम वैकल्पिक मार्ग को बता रहे हैं।
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