नई दिल्ली: ‘‘चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक, 2021’ आज मंगलवार को संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में भी पारित हो चुका है। अब इसे कानून की शक्ल देने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा और उनके हस्ताक्षर होते ही यह बिल, कानून का रूप ले लेगा। इससे पहले सोमवार को यह विधेयक लोकसभा में भी पारित हो चुका है।
सरकार ने विधेयक को पेश करते वक़्त जोर देते हुए कहा कि आधार और वोटर कार्ड को जोड़ने से फर्जी मतदाताओं पर लगाम लगेगी। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में इसे पेश करते हुए कहा था कि सदस्यों ने इसका विरोध करने को लेकर जो दलीलें दी हैं, वे शीर्ष अदालत के फैसले को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश है। यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप ही है। लोकसभा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), AIMIM, आरएसपी, बसपा जैसे दलों ने इस ‘निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक 2021’ के प्रति विरोध जताया।
कांग्रेस ने इस बिल को विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की। विरोध कर रहे विपक्षी दलों ने कहा कि, ‘आधार कार्ड को वोटर कार्ड से जोड़ने की पहल सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन है। साथ ही आधार कार्ड में वोटर कार्ड से अधिक गलतियां सामने आई हैं।’
नए इलेक्शन लॉ (संशोधन) बिल 2021 से क्या होगा ?
इस बिल में फर्जी मतदान और मतदाता सूची में दोहराव को रोकने के लिए वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने का प्रावधान है। इसके साथ ही मतदाता सूची में भी वर्ष में 4 बार नाम दर्ज करवाने का प्रावधान है। इस विधेयक में सर्विस वोटर्स के लिए चुनावी कानून को 'जेंडर न्यूट्रल' भी बनाया जाएगा। इससे महिला कर्मचारियों के पति भी सर्विस वोटर में शामिल हो जाएंगे। अभी तक ऐसा नहीं था। उदाहरण के तौर पर, किसी पुरुष फौजी की पत्नी सर्विस वोटर के तहत अपना पंजीकरण करवा सकती थी, किन्तु महिला फौजी का पति ऐसा नहीं कर सकता था। अगर यह कानून बन जाता है, तो अब महिला फौजियों के पति भी सर्विस वोटर में शामिल हो सकेंगे।
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