नई दिल्ली : 11 अप्रैल से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम के दौरान आ रहे रमजान महीने में मतदान की तारीखों को लेकर चल रहे विवाद पर चुनाव आयोग ने सोमवार को अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि रमजान के पूरे माह हम चुनाव को नहीं टाल सकते। हालांकि त्योहार के मुख्य दिन और शुक्रवार को मतदान नहीं रखा गया है।
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उल्लेखनीय है कि रमजान के महीने में चुनाव को लेकर तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ दलों ने विरोध किया है। निर्वाचन आयोग की तरफ से रविवार को घोषित किए गए लोकसभा चुनाव के शेड्यूल पर तृणमूल कांग्रेस के नेता और कोलकाता के महापौर फिरहाद हकीम ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाजपा नहीं चाहती कि अल्पसंख्यक वोट डालें। इसलिए रमजान के दौरान रोजे का ख्याल नहीं रखा गया है। लेकिन हम इससे चिंतित नहीं हैं। हम जरूर वोट डालेंगे।
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फिरहाद हकीम ने कहा है कि निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है, हम इसकी इज्जत करते हैं। हम उसके विरुद्ध कुछ भी नहीं बोलना चाहते। 7 चरणों का चुनाव तीन राज्यों बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए मुश्किल होगा। यह उनके लिए और अधिक मुश्किल होगा जो रमजान में रोजा रखते हैं। क्योंकि इसी वक़्त रमजान महीना भी होगा। उनका कहना है कि इन तीनों प्रदेशों में अल्पसंख्यकों की आबादी कहीं ज्यादा है। वे सभी रोजा रखते हुए मतदान करेंगे। निर्वाचन आयोग को इसका ख्याल रखना चाहिए था।
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