नई दिल्ली : निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया है कि गुरुवार रात से पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार पर बैन लगाने का ‘‘विवेकपूर्ण’’ फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब सियासी दलों को अचानक से वोट मांगने के हक़ से रोकना नहीं था, बल्कि हम नहीं चाहते थे कि मई 19 के चुनाव की समाप्ति हिंसा से हो।
प्रदेश की नौ लोकसभा सीटों पर प्रचार को गुरुवार सुबह से नहीं थामने को लेकर आयोग पर राजनीतिक पार्टियों का हमला जारी है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश में पीएम नरेन्द्र मोदी की चुनावी रैलियों के लिए ऐसा किया गया है। पश्चिम बंगाल में प्रचार गुरुवार रात दस बजे थम गया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक यह शुक्रवार शाम छह बजे तक चलता।
एक अधिकार ने जानकारी देते हुए बताया है कि, ‘‘हमारे पास एक सूची है। आज विभिन्न राजनितिक दलों और नेताओं की 15 से ज्यादा राजनीतिक रैलियां /रोडशो आयोजित हुए हम इसे अचानक से नहीं रोक सकते। अपनी शक्ति दिखाने का विचार नहीं था। प्रचार रोकने का भी विचार नहीं था। मूलभूत विचार यह दिखाना था कि निर्वाचन आयोग का स्थिति को संभालने का अपना तरीका है।’’ आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में मतदान के हर चरण में हिंसा हुई है, जिसके चलते चुनाव आयोग ने वहां प्रचार एक दिन पहले रोक दिया है।
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