मुंबई: महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले, दोनों राज्यों की सरकारों ने जनता को लुभाने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। इनमें महिलाओं को हर महीने 2000 रुपये तक की आर्थिक सहायता और टोल टैक्स में छूट जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। मंगलवार को, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि चुनाव के ठीक पहले ऐसी मुफ्त योजनाओं की घोषणा मतदाताओं को रिश्वत देने जैसा है। उन्होंने मांग की है कि ऐसी योजनाओं को चुनावी रिश्वत घोषित किया जाए और चुनाव से कुछ समय पहले इनकी घोषणा पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को पहले से लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है और केंद्र तथा चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। महाराष्ट्र और झारखंड में हाल के दिनों में ऐसी कई योजनाओं की घोषणा देखी गई है। महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में कारों के लिए सभी टोल टैक्स माफ कर दिए हैं और "लड़की बहन" योजना का भी ऐलान किया है। इसके अलावा, ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाने की सिफारिश भी केंद्र से की गई है। इसी तरह, झारखंड में भी विभिन्न लोक-लुभावन योजनाओं की घोषणा की गई है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि चुनाव से पहले ऐसी योजनाएं मतदाताओं को प्रभावित करने का एक तरीका है और यह सभी राजनीतिक दलों पर लागू होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट अब इस मुद्दे पर केंद्र और चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांग रही है ताकि चुनावों में निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
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