भारत में चुनाव शब्द दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है चुन और नाव। चुनाव की प्रक्रिया के तहत जनता एक ऐसे नेता रूपी नाव को चुनती है जो जनता को विकास की नाव पर बैठाकर पार करा सके। भारत में चुनावों का इतिहास पुराना है। देश में पहले जब राजाओं और सम्राटों का राज था, उस समय भी चुनाव होते थे हालांकि उस समय चुनाव प्रक्रिया आज के समान नहीं होती थी। वर्तमान समय में जो देश में सरकार बनी हुई है वो हमारे द्वारा ही बनाई गई है लोगों के लिए चुनाव में वोट डालना बहुत जरूरी है और इसके लिए आजकल तो सभी पार्टियों के नेता भी लाख जतन कर रहे हैं।
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भारत में चुनाव के दौरान वोट डालने को अधिकार प्राय: सभी के लिए है इसके आपको 18 साल की आयु पूरी करने के साथ ही अपना वोटर कार्ड भी बनवाना पड़ता है और इसके लिए आपको कहीं दौड़ भाग करने की जरूरत भी नहीं पड़ती वर्तमान समय में चुनाव आयोग द्वारा नई नई योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसके तहत जनता को चुनाव के प्रति जागरूक किया जा रहा है और वोट डालने की प्रक्रिया भी समझाई जा रही है। चुनाव के दौरान आपको मतदान वाले दिन अपना वोटर आईडी कार्ड साथ में लेकर पोलिंग बूथ पर जाना है और जहां पर मतदान किया जा रहा है वहां अपने नाम को लिस्ट में तलाश करके पर्ची प्राप्त करनी है। इसके बाद आपको मतदान के लिए बुलाया जायेगा और फिर आप पंक्ति में जाते हुए अपना वोट डालने तैयार रहेंगे।
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जहां तक भारत में देखा गया है कि चुनाव प्रक्रिया में मतदान के लिए सभी जागरूक रहते हैं और आधुनिक जनतंत्रों के मतदान के महत्व तथा उसकी प्रणाली के संबंध में विभिन्न सिद्धांत भी दिए गए हैं। इन सिद्धांतों के फलस्वरूप, आवश्यकता के समय संघर्ष निवारण की सामाजिक प्रविधि के रूप में शासन सत्ता के प्रति अनुवृत्ति प्राप्त करने के ढंग के रूप में, सामाजिक संघर्ष के बीच सामंजस्य स्थापित करने के साधन के रूप में, ठीक परिस्थितियों में ठीक निर्णय प्राप्त करने की पद्धति के रूप में, सामाजिक आवश्यकताओं तथा असंतोषों को अनावृत्ति की व्यवस्था के रूप में और अल्पसंख्यकों को राज्य के लाभों से वंचित रखने की व्यवस्था से बचाने के ढंग के रूप में, मतदान को मान्यता प्राप्त हुई है। मतदान करने से लोगों में जागरूकता भी आती है और मतदान करने का महत्व भी पता चलता है।
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