पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमत और प्रदुषण को लेकर जहा एक और इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुझान बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे है वही दूसरी ओर केंद्र सरकार अब इलेक्ट्रिक कारों के खरीदारों को मिलने वाली कैश सब्सिडी को बंद करने का प्लान बना रही है. इस संभावना के सच होने पर निजी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में कमी देखी जाना स्वाभाविक है.
पॉलिसी मेकर्स ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि लोग प्राइवेट कारों से ज्यादा ओला और ऊबर के वाहन ज्यादा इस्तेमाल करेंगे. इसलिए सरकार का यह कदम सही है. सरकार अब निजी खरीदारों की बजाय ओला और ऊबर जैसे कैब सर्विस प्रोवाइडर को नकद सब्सिडी देने का प्लान भी बना रही है. एक अधिकारी के अनुसार सरकार प्राइवेट इलेक्ट्रिक कारों के लिए नकद प्रोत्साहन वापस लेना चाहती है. इसकी वजह यह है कि अभी तक इस सब्सिडी की वजह से ना तो इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में इजाफा हो रहा है और ना ही क्लीन एनर्जी का उद्देश्य पूरा हुआ है. क्लीन एनर्जी के उद्देश्य से शुरू की गई यह सब्सिडी अब तक खास असर नहीं दिखा पाई है.
अभी तक-
सरकार इलेक्ट्रिक कारों पर नकद सब्सिडी बंद कर रही है,
लेक्ट्रिक बसों और टू-व्हीलर्स पर इंसेंटिव्स देना जारी रहेगा
बसों पर छूट को कम किया जा सकता है
बस की कुल कीमत का 60 पर्सेंट पैसा इंसेंटिव के तहत आता है, जिसे घटाकर 40 प्रतिशत किया जा सकता है
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