इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल को तेजी से देश में बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी कड़ी में एक और कदम बढ़ाते हुए सरकार 2023 से देश में सिर्फ इलेक्ट्रिक थ्री-वीलर्स की बिक्री अनिवार्य कर सकती है. वहीं, 2025 से सिर्फ इलेक्ट्रिक बाइक्स की बिक्री अनिवार्य होने वाली है. बाइक्स के लिए ऐसा 150cc तक की इंजन क्षमता वाली होगा.
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इन दोनों सेगमेंट के माध्यम से सरकार के एक उच्च-स्तरीय पैनल ने गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए यह सिफारिश की है. इन दोनों सेगमेंट (थ्री और टू-वीलर्स) की सालाना बिक्री 2 करोड़ से ज्यादा है. देश की सड़कों पर ट्रैफिक का तीन हिस्सा इन्हीं वीइकल्स का है. नए नियम का उन गाड़ियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिनका रजिस्ट्रेशन निर्धारित तारीख तक हो चुका होगा. अभी 4-6 साल का जो समय दिया गया है, वह ऑटो इंडस्ट्री में हो रहे बदलावों को देखते हुए दिया गया है. दरअसल, अगले साल अप्रैल से बीएस6 अनिवार्य हो जाएगा, जिसके लिए ऑटो इंडस्ट्री काफी पैसा खर्च कर रही है. 2023 या 2025 तक का समय इसलिए दिया गया है, ताकि अपने इस इन्वेस्टमेंट को रिकवर ऑटो कंपनियां कर सकें.
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इसी डेडलाइन का प्रस्ताव डिलिवरी वीइकल्स और स्कूल व सिटी बसों के लिए नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के नेतृत्व वाली अंतर-मंत्रालयीय संचालन समिति (इंटर-मिनिस्टेरियर स्टीयरिंग कमिटी) भी दे सकती है. हालांकि, यह सुझाव ऑटो इंडस्ट्री के लिए अच्छा नहीं होगा, जो मुश्किल भरे दौर से गुजरी रही है. कमिटी ने इलेक्ट्रिक थ्री-वीलर्स के लिए डायरेक्ट सब्सिडी दोगुनी करके 20,000 रुपये प्रति किलो वाट घंटे करने पर जोर दिया है, ताकि इनका इस्तेमाल पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में सस्ता पड़े. इसके अलावा सरकार इलेक्ट्रिक सेगमेंट के लिए वित्तीय और अन्य रियायतें देते हुए दक्षता मानदंडों (फ्यूल एफिशिएंसी नॉर्म्स) को निर्धारित करने पर नए पेट्रोल और डीजल वीइकल्स के लिए सख्त ईंधन भी विचार कर रही है.
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