पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सदन को विश्वास दिलाया है कि उनकी सरकार पंजाब स्टेट ट्रांसमिशन कार्पोरेशन लिमिटेड (पीएसटीसीएल) द्वारा टावर लगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जमीन के लिए किसानों को मुआवजा देने के लिए नीति लेकर आएगी. हालांकि, मुख्यमंत्री ने बिजली की तारों के नीचे की जमीन के लिए किसानों को मुआवजा देने की संभावना को खारिज कर दिया है क्योंकि राज्यभर में इन तारों के नीचे 105 एकड़ कृषि भूमि है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि विधानसभा में तलवंडी साबो से आप विधायक प्रो. बलजिंदर कौर और गढ़शंकर से विधायक जय कृष्ण रोड़ी द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में, पीएसटीसीएल द्वारा किसानों की जमीन पर बिजली के 40 गुना 40 फुट आकार से खंभे लगाने का मामला उठाया गया था. उन्होंने प्रस्ताव में कहा कि पीएसटीसीएल की तरफ से बलांवाली थर्मल प्लांट से तलवंडी साबो रिफाइनरी तक किसानों की जमीनों में बिजली के बड़े खंभे बिना पूर्व सूचना के लगाए गए हैं.
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काफी सारी समस्याओं की वजह से किसानों की जमीन खराब हो रही है और उन्हें इस जमीन के इस्तेमाल का कोई मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है. प्रस्ताव में कहा गया कि यह खंभे लगाने से किसानों की जमीनों के मूल्य में भी गिरावट आ रही है. उन्होंने प्रति खंभा 15 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की. मुख्यमंत्री ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि किसानों को इंडियन टेलीग्राफ एक्ट, 1885 के अनुसार फसलों के नुकसान की भरपाई की जा रही है.उन्होने यह भी बताया कि बठिंडा जिले में टावरों के नीचे की जमीन एक्वायर नहीं की गई क्योंकि टावरों और ट्रांसमिशन लाइनों के नीचे आती जमीन पर कृषि कार्यों पर कोई रोक नहीं है.मुख्यमंत्री ने सदन को यह भी बताया कि 23 टावरों की स्टबिंग (नींव) के दौरान किसानों को 6,38,087 रुपए की अदायगी की गई है.
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