शर्मनाक! पिता ही करता था बेटी का बलात्कार, मामला सामने आते ही पुलिस भी रह गई दंग

शर्मनाक! पिता ही करता था बेटी का बलात्कार, मामला सामने आते ही पुलिस भी रह गई दंग
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मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की एक कोर्ट ने घरेलू यौन हिंसा से जुड़े एक मामले में बृहस्पतिवार को बेहद अहम टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि किसी को भी यह नहीं मान लेना चाहिए कि घर पर यौन उत्पीड़न की शिकार पीड़िता परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती। न ही यह मानना चाहिए कि उसका बर्ताव सामान्य नहीं हो सकता। कोर्ट ने एक व्यक्ति को उसकी नाबालिग बेटी के साथ कई सालों तक दुष्कर्म करने के लिए अपराधी ठहराते हुए यह टिप्पणी की। मुंबई में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम अदालत की विशेष न्यायाधीश जयश्री आर पुलुटे ने 29 सितंबर को अपराधी को 10 वर्ष जेल की सजा सुनाई थी। इस आदेश की विस्तृत कॉपी बुधवार को उपलब्ध कराई गई। 

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, अपराधी सऊदी अरब में एक जहाज पर काम करता था तथा हर दो महीने में मुंबई में अपने परिवार से मिलने आता था। अपराधी की पत्नी ने 2014 में देखा कि जब भी वह घर पर होता था, तो उनकी बेटी उससे बचती रहती थी। वह हमेशा अपने कमरे में रहती थी। लड़की ने अंततः अपनी मां को बताया कि उसने (पिता ने) बीते 7 सालों में कई बार उसका यौन उत्पीड़न किया है। लड़की ने कहा कि वह 10 वर्ष की आयु से ही इस बुरे सपने का सामना कर रही थी। लड़की की आपबीती सुनने के पश्चात् उसकी मां ने पुलिस से संपर्क किया। तत्पश्चात, पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया तथा आगे की कार्रवाई की। 

वही जब मामला अदालत में गया तो अपराधी ने दावा किया कि शिकायत करने में इतनी देरी क्यों की गई। मामला झूठा है। हालांकि व्यक्ति को अपराधी ठहराते हुए, कोर्ट ने इस तर्क को यह कहकर खारिज कर दिया कि जब दुर्व्यवहार आरम्भ हुआ तब लड़की बहुत छोटी थी और आरम्भ में उसे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। जब उसने कक्षा 9 में एक सेक्स एजुकेशन क्लास में हिस्सा लिया, तो उसे समझ आया कि वह स्वयं यौन शोषण का सामना कर रही है। न्यायाधीश ने कहा कि फिर भी उसके पिता के जेल जाने पर परिवार के लिए आर्थिक सहायता के नुकसान के बारे में चिंतित होना स्वाभाविक था। जिस के चलते, लड़की ने बोला था कि उसने कक्षा 9वीं में औसतन 70 फीसदी अंक प्राप्त किए तथा नियमित तौर पर स्कूल जाती थी। उसने कहा था कि अपराधी की घर में उपस्थिति से उसकी विद्यालय में उपस्थिति प्रभावित नहीं हुई। उसने यह भी कहा था कि अपराधी नियमित तौर पर उसके एवं उसके भाई-बहनों के लिए नए कपड़े और खिलौने लाता था। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि ये तथ्य यौन शोषण के आरोपों से मेल नहीं खाते। किन्तु अदालत ने कहा कि यौन उत्पीड़न की शिकार हर पीड़िता की प्रतिक्रिया एक जैसी नहीं हो सकती। न्यायाधीश ने कहा, "यह नहीं माना जाना चाहिए कि यौन उत्पीड़न की पीड़िता परीक्षा में अच्छे अंक हासिल नहीं कर सकती।" कोर्ट ने कहा कि नियमित स्कूल उपस्थिति तथा परीक्षाओं में अच्छे प्रदर्शन के तथ्य से उसके आरोपों को खारिज नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अपराधी द्वारा अपने बच्चों के लिए कपड़े और खिलौने लाने जैसे "सामान्य" व्यवहार का मतलब यह नहीं था कि वह कभी भी उस प्रकार के जघन्य अपराध नहीं करेगा, जिस प्रकार के उस पर आरोप लगे हैं। 

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