विज्ञान का विकास या प्रकृति को चुनौती : मां के गर्भ से बाहर भी मानव भ्रूण का विकास मुमकिन!

विज्ञान का विकास या प्रकृति को चुनौती : मां के गर्भ से बाहर भी मानव भ्रूण का विकास मुमकिन!
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नई दिल्ली: विज्ञान ने विकास किया है या प्रकृति के लिए चुनौती खड़ी की है यह सवाल फिर से उठ गया है बुधवार को वैज्ञानिकों की ओर से रिपोर्ट किया गया कि उन्होंने लैब में करीब दो हफ्ते तक मानव भ्रूण को विकसित करने में सफलता पा ली है. इस कदम से ना सिर्फ प्रजनन, स्टेम सेल थिरेपीज़ में सहायता मिलेगी बल्कि ये मानव के जैव विकास को भी समझने में आसानी होगी।

शोध ने ये भी दिखाया है कि नवसर्जित मानव भ्रूण को मां के गर्भ से बाहर कुछ दिनों से आगे भी विकसित किया जा सकता है. ये वो चीज़ है जिसे पहले नामुमिकन समझा जाता था।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुए एक ताजा शोध से इन विट्रो फर्टिलिटी तकनीक में क्रांति आने वाली है. अभी तक इन विट्रो फर्टिलिटी की कामयाबी महज़ 35 फीसदी है. अब इसके बढ़ जाने की संभावनायें बन गयी हैं. इस शोध की पहली उपलब्धि यह रही कि वैज्ञानिकों को यह पता चल गया कि आदमी और पशुओं में के भ्रूण विकास अलग-अलग तरह से होते हैं।

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