नई दिल्ली: यदि कोई आपसे पूछे कि आज के नए दौर की ग्लोबल भाषा क्या है? अंग्रेजी बोलने वालों की सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में अधिकतर लोग शायद अंग्रेजी को यह ख़िताब दे दें। किन्तु यह बात सच नहीं है। दरअसल, आज के दौर की ग्लोबल लैंग्वेज तो इमोजी है। इसमें अक्षर तो नहीं, किन्तु पिक्चर है, भाव है, भावना है। असमानता के खिलाफ आवाज है। इंटरनेट पर मौजूद इस भाषा की कोई सरहद और नस्ल भी नहीं है। ब्रिटेन की बांगोर यूनिवर्सिटी में भाषा विज्ञान के प्रोफेसर व्यव इवांस का दावा है कि इमोजी इंसानी इतिहास में विश्व की सबसे तेजी से फैलने वाली भाषा है।
कुल 176 आइकॉन से आरंभ हुई यह भाषा आज 3,353 इमोजी तक पहुंच चुकी है। उनका कहना है कि दृष्य भाषा यानी विजुअल लैंग्वेज के तौर पर इमोजी पहले ही प्राचीन मिस्र की चित्रलिपि (Egyptian hieroglyphics) को बहुत पीछे छोड़ चुकी है, जिसे विकसित होने में पांच सदी से अधिक का समय लगा था। आज इमोजी न सिर्फ विश्व में रिश्तों को मजबूत कर रही है, बल्कि नस्लीय और सियासी असमानता के खिलाफ जंग का जरिया भी बनी चुकी है। ये बिना किसी आवाज के हम पर इतना गहरा प्रभाव डाल रही है कि मनोविज्ञानिकों को उसके निशान हमारे मस्तिष्क में नज़र आ रहे हैं।
2015 में एप्पल ने अपने गैजेट्स के लिए कई सारे स्किन कलर के इमोजी जारी किए थे। इनमें LGBT समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले इमोजी भी शामिल थे। सोशल मीडिया पर इमोजी में नस्लीय भेद दूर करने और उन्हें सभी नस्लों को रिप्रजेंट करने वाला बनाने के लिए कई ऑनलाइन अभियान छेड़ा था। इससे पहले 2014 में एंटी बुलिंग इमोजी यानी जोर-जबरदस्ती के विरुद्ध इमोजी आया था। गत वर्ष दो अलग-अलग नस्लों के जोड़ों के इमोजी भी जारी किए गए। विशेषकर ब्लैक और व्हाइट्स के जोड़ों के लिए।
विदिशा हादसे पर PM मोदी ने जताया दुःख, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दिए जाएंगे 2-2 लाख रुपये
World Day for International Justice: जानिए आखिर क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस ?
एसबीआई ने एकीकृत डिजिटल बैंकिंग और शॉपिंग प्लेटफॉर्म को किया लॉन्च