नई दिल्ली: अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले विधार्थियो को 4 साल की पढ़ाई के दौरान 3 बार इंटर्नशिप करना होगा. यह कदम इसलिए उठाया गया है जिससे इंजीनियर के छात्रों में बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सके. यह नई व्यवस्था इसी सत्र से लागू हो जाएगी, और इसकी जिम्मेदारी कॉलेज प्रशासन की ही होगी.
इंजीनियरिंग की व्यवस्था में बदलाव सिर्फ विधार्थियो के लिए नहीं किया गया बल्कि शिक्षकों के लिए भी किया गया है. अब इंजीनियरिंग के विधार्थियो को पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी सालाना रिफ्रेसर कोर्स से गुजरना होगा, और इसमें सफल होने के बाद ही उन्हें कॉलेज में पढ़ाने की मंजूरी दी जाएगी.
वही HRD मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में कहा था कि टेक्नीकल इंस्टीट्यूट के हर छात्र को अंडर-ग्रेजुएट कोर्स पूरा होने से पहले तीन इंटर्नशिप से गुजरना होगा, जो कि चार से 8 सप्ताह का होगा. उसके बाद उन्होंने कहा कि छात्रों को इंटर्नशिप कराने की जिम्मेदारी संस्थानों की होगी. छात्रों को सूटेबल इंडस्ट्री में इंटनशिप के लिए संस्थान उनकी मदद करेंगे.
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