शीशम को आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के रूप में प्रयोग किया जाता है. शीशम के पत्तों से निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ को कई रोगों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है. इसके तेल को दर्दनाशक, अवसादरोधी, सड़न रोकने वाले, कामोत्तेजक, जीवाणु रोधक, कीटनाशक और स्फूर्तिदायक आदि के तौर पर प्रयोग किया जाता है.
1-शीशम के तेल का सेवन करने से अवसाद ग्रस्त रोगियों को कुछ ही देर में आराम मिल जाता है. इसका सेवन आपको उदासी और निराशा से दूर रखता है. साथ ही जिंदगी में सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने में मदद करता है. खाने में इसका प्रयोग उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है जो हाल-फिलहाल ही अपने किसी लक्ष्य को नहीं पा सके.
2-यदि आपके दांतों में, सिर में या फिर जोड़ों में दर्द हैं तो इसमें शीशम का तेल काफी लाभकारी होता है. दांत में दर्द होने पर शीशम के तेल का (रुई में तेल लगाकर) दांत के नीचे रख लें, इससे कुछ ही देर में आराम मिलेगा. सिर में दर्द होने पर शीशम के तेल की मालिश फायदेमंद होती है. वहीं जोड़ों में दर्द की समस्या में शीशम का तेल गर्म करके लगाने पर आराम देता है.
3-यदि आपका कोलेस्ट्राल बढ़ गया है और आप हृदय रोग से ग्रस्त हैं तो शीशम के तेल का सेवन आपके लिए रामबाण साबित हो सकता है. शीशम के तेल का सेवन रक्त प्रवाह को बेहतर रखता है. इस तेल से बना खाना खाने से पाचन शक्ति भी मजबूत होती है.
4-यदि आपके शरीर के किसी हिस्से में चोट का घाव है तो इसे भरने में शीशम का तेल सहायक है. घाव वाली जगह पर आप शीशम के तेल में हल्दी मिलाकर बांध लें. इससे घाव जल्द भर जाएगा. इसके अलावा फटी हुई एडियों (बिवाई) पर शीशम का तेल लगाने से एडियों की रंगत लौट आती है.