गुवाहाटी: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं, पर बढ़ते अत्याचारों के कारण भारत के असम और त्रिपुरा राज्यों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इन अत्याचारों के खिलाफ असम के बराक घाटी क्षेत्र में एक विशेष कदम उठाया गया है। बराक घाटी के होटल और रेस्तरां एसोसिएशन ने घोषणा की है कि वे बांग्लादेशी नागरिकों को अपनी सेवाएं नहीं देंगे, जब तक बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हमले बंद नहीं होते।
बराक घाटी में कछार, श्रीभूमि (पूर्व में करीमगंज) और हैलाकांडी जिले शामिल हैं, जो बांग्लादेश के सिलहट क्षेत्र से 129 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। इन जिलों के व्यापारियों और होटल संचालकों ने इस कदम को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में एक मजबूत संदेश के रूप में लिया है। होटल और रेस्तरां एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबुल राय ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसा और अत्याचारों की स्थिति बहुत चिंताजनक है, जिसे वे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं कर सकते। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक बांग्लादेश में स्थितियां सुधर नहीं जातीं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार रुक नहीं जाते, तब तक बांग्लादेश के नागरिकों को यहां कोई मदद नहीं दी जाएगी।
इससे पहले, श्रीभूमि जिले के आयात-निर्यात संघ ने भी बांग्लादेश के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को निलंबित करने का निर्णय लिया था। इन फैसलों का उद्देश्य बांग्लादेश में हो रहे धर्मिक उत्पीड़न के खिलाफ अपनी नाराजगी जताना है। असम के अलावा त्रिपुरा में भी बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। ऑल त्रिपुरा होटल एंड रेस्टोरेंट ओनर्स एसोसिएशन ने भी बांग्लादेशी नागरिकों को अपने रेस्तरां में भोजन देने से मना कर दिया था। इसके अलावा, आईएलएस अस्पताल ने घोषणा की थी कि वह बांग्लादेश के किसी भी मरीज का इलाज नहीं करेगा, जब तक वहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
इस विरोध और प्रतिबंध का उद्देश्य बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रहे हमलों के प्रति विरोध जताना है। भारत में इन फैसलों के बाद यह सवाल उठता है कि बांग्लादेश की सरकार इन अत्याचारों को रोकने के लिए क्या कदम उठाएगी और क्या भारत-बांग्लादेश रिश्तों में यह तनाव और बढ़ेगा।