देश में अगर हालिया वातावरण की और नज़र डाली जाए तो इस पर इतने सालों में काफी प्रभाव पड़ा है. उपग्रह से लैण्डस्केप स्तर आंकडों का पता चला है. इतने वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में कई बार लैण्डस्केप के मामले सामने आए है, जिसमे अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. आजादी के बाद भारत के पर्यावरण में आए महत्वपूर्ण बदलाव इस तरह हैं:
आजादी के 70 सालों तक इस गाँव में नहीं फहराया गया तिरंगा
वन आवरण
आज़ादी के बाद भारतीय वनों की स्थिति पर तैयार 2011 की रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल वन व वृक्षावरण का क्षेत्रफल 78.29 मिलियन हेक्टेर है. यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का 23.81 प्रतिशत है.
प्राकृतिक रबड़ की खेती
देश में बंजर भूमि खण्डों पर निशान लगाकर उन्हें प्राकृतिक रबड़ की खेती के लिए तैयार किया जा रहा है. आकलन के अनुसार त्रिपुरा में 48,037 हेक्टर में प्राकृतिक रबड़ की खेती हो रही है. जो कि आज़ाद भारत में तेजी से बढ़ता बदलाव है. मृदा-जलवायु के आधार पर देश में लगभग 22,947 हेक्टर बंजर भूमि को प्राकृतिक रबड़ की खेती के लिए उपयुक्त पाया गया है.
रेशम उत्पादन विकास
केन्द्र सिल्क बोर्ड द्वारा रेशम उत्पादन विकास परियोजना को देश के 24 राज्यों में व्याप्त 106 चुने हुए शहरों में पूर्ण कर दिया गया है.
हिम एवं हिमनद
जलवायु परिवर्तन के बाद 1989-1990 से लेकर 1997-2008 के दौरान हिमालय के 13 उप बेसिनों में आकलन के आधार पर हिमनदों के घटने-बढ़ने से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई है.
कुल 2190 हिमनदों में से लगभग 76% हिमनदों के हिमावरण क्षेत्र में कमी पाई गई है.
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