मिर्गी के बारे में आपने सुना ही होगा कि ये बीमारी बड़ी ही खतरनाक होती है जिसमे इंसान बेहोश होकर गिर जाता है और उसके हाथ पाँव ऐंठ जाते हैं. यह एक तरह का दौरा होता है जो शारीरिक कारणों से होता है लेकिन गाँवों में अन्धविश्वास के कारन इसे भूत आना या काली छाया पड़ना जैसे नामों से भी लोग बुलाते हैं. लेकिन इसी से बचने के लिए हम कुछ घरेलु उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आप इससे बच सकते हैं.
अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है. आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये. यह उपचार करीब 6 महीने करने से आश्चर्यकारी सुखद परिणाम मिलते हैं. एप्सम साल्ट मिश्रित पानी से मिर्गी रोगी स्नान करे. इस उपाय से दौरों में कमी आ जाती है और दौरे भी ज्यादा भयंकर किस्म के नहीं आते है. मिट्टी को पानी में गीली करके रोगी के पूरे शरीर पर प्रयुक्त करना अत्यंत लाभकारी उपचार है. एक घंटे बाद नहालें. इससे दौरों में कमी होकर रोगी स्वस्थ अनुभव करेगा.
विटामिन बी6 का प्रयोग भी मिर्गी रोग में काफी फायदेमंद माना गया है. यह विटामिन गाजर,मूम्फ़ली,चावल,हरी पतीदार सब्जियां और दालों में अच्छी मात्रा में पाया जाता है. 150 से 200 मिलिग्राम विटामिन बी6 लेते रहना अत्यंत हितकारी है. मानसिक तनाव और शारिरिक अति श्रम रोगी के लिये नुकसान देह है. इनसे बचना जरूरी है. मिर्गी रोगी को एक पाव बकरी के दूध में 50 ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर नित्य प्रात: दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं. जरूर आजमाएं. रोजाना तुलसी के 15 पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है.
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