भारत में इस वर्ष मानसून के दौरान बरसात में भारी कमी आने की चेतावनी दी गई है. एक अमेरिकी एजेंसी के अनुसार, उत्तर एवं मध्य भारत में सामान्य से बहुत कम बरसात हो सकती है. राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) का यह रिसर्च शुक्रवार को शेयर की है. इसमें दक्षिण एशियाई मानसून क्षेत्र में 'मानसून निम्न-दबाव तंत्र' (एमएलपीएस) के उल्लेखनीय हद तक घटने का अनुमान जताया गया है. भारतीय उपमहाद्वीप इलाकों में बरसात की मुख्य वजह मानसून निम्न-दबाव तंत्र ही है.
सिंगापुर में कोरोना का कहर, नए आंकड़े चिंता जनक
उत्तर और मध्य भारत में सालाना जितनी बरसात होती है, उसमें आधा से अधिक बरसात के लिए यही फैक्टर मेहरबान होता है. रिसर्च में कहा गया है कि मानसून निम्न-दबाव तंत्र में बदलाव की कोई भी वजह हो सकती है. यह प्राकृतिक वजह से भी हो सकता है, और मानव निर्मित भी. कारण कुछ भी हो, इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव गहरे हो सकते हैं. दक्षिण एशिया में 'मानसून कम-दबाव तंत्र' में बदलाव को लेकर अभी तक बहुत कम रिसर्च हुए हैं, और किसी अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचना अभी शेष है.
भारत में कैसे आकर्षित किया जाए निवेश ? IMF ने सुझाए अहम उपाय
इससे पहले भारतीय मौसम महकमे ने इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने का पूर्वानुमान लगाया था. बीते दिनों (आइएमडी) ने बताया था कि इस मानसून में अब तक सामान्य से छह प्रतिशत अधिक बरसात हुई है. मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में कम बारिश हुई है. दक्षिण प्रायद्वीप क्षेत्र में अब तक सामान्य से 17 फीसद ज्यादा बरसात रिकॉर्ड की गई है. इस भाग में तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना आते हैं. इनमें से आंध्र प्रदेश में बहुत अधिक और तमिलनाडु व तेलंगाना में अधिक बरसात हुई है.
सिंगापुर की सरकार में भारतीय मूल के लोगों को मिले ताकतवर पद