किशंसा: कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के इटुरी प्रांत में शुक्रवार से शुरू हुई हिंसा में हेमा जातीय समूह के कम से कम 23 सदस्यों की हत्या कर दी गई है. हेमा जाती के ही एक सदस्य ने यह जानकारी दी लेकिन उन्होंने मरने वालों की संख्या की पुष्टि नहीं की है. आधिकारिक सूत्रों से पता चला है कि प्रतिद्वंदी जाती समूह के भी कम से कम 12 सदस्य मारे गए हैं.
स्थानीय अखबार के मुताबिक यह हिंसा शुक्रवार को शुरू हुई थी, जिसने आगे बढ़ते हुए जातीय हिंसा का रूप ले लिए और इसमें लगभग दो दर्जन जिंदगियां तबाह हो गई. कांगो के कई हिस्से जातीय हिंसा कि आग के चपेट में हैं जिसकी लपटें 1990 में पडोसी राज्य रवांडा से यहाँ आई थी. अभी भी रवांडा के हुतु या नंदे नाम के उग्रवादी गुट कांगो की सीमा के भीतर आकर हमले और लूटपाट करते हैं.
गौरतलब है, कि दो महीने पहले ही संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई थी कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में चल रहे राजनितिक उथलपुथल से भारी हिंसा की आशंका है और इस हिंसा के बाद कांगो में हालात ज्यादा बिगड़ गए हैं. सिर्फ कांगो में ही नहीं अफ्रीका के अधिकतर देशों में भी यही हालात है. सवाल यह उठता है, कि भूख और बेरोज़गारी से लड़ती ये जिंदगियां आखिर कब तक जातिवाद और राजनितिक स्वार्थ की भेंट चढ़ती रहेंगी.
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