वाशिंगटन: गलवान घाटी में 15 जून को हुए खुनी संघर्ष के बाद भारत ने भविष्य में किसी बॉर्डर विवाद के दौरान चीन के खिलाफ अकेले खड़े होने का भरोसा दिखाया है। भले ही अमेरिका ने बीजिंग के खिलाफ 'क्वॉड अलायंस' बनाने की पेशकश की है, किन्तु भारत के अकेले तन जाने से ड्रैगन भी हैरान है। यूरोपीय थिंक टैंक द्वारा एक बयान में यह बात कही गई है।
पूर्वी लद्दाख में हुए संघर्ष के बाद से भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। इसके कुछ अच्छे नतीजे भी सामने आए हैं और दोनों देशों की सेनाएं कुछ विवादित जगहों से पीछे हटी हैं, किन्तु चीनी सैनिक देपसांग, गोरा, फिंगर इलाकों में अब भी जमे हुए हैं। यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) ने एक बयान में कहा कि, ''पैंगोंग त्सो में डिसइंगेजमेंट की प्रारंभिक प्रक्रिया में चीनी सेना फिंगर 2 से फिंगर 5 इलाकों में पीछे हटी है, किन्तु रिज लाइन पर चीनी जवान अब भी खड़े हैं। भारत जोर दे रहा है कि चीनी सेना फिंगर 5 से फिंगर 8 तक से हटें। भारत ने चीनी आर्मी के पूरी तरह पीछे हटने तक अग्रिम इलाकों से हटने पर विचार से साफ़ मना कर दिया है।''
थिंक टैंक ने कहा कि, ''2017 में डोकलाम की तरह, चीन की आक्रामकता के खिलाफ भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की तरफ से दिखाए गए दृढ़ता और संकल्प ने चीन को हैरान कर दिया है।'' भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए EFSAS ने कहा कि जब तक सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ता के माध्यम से सहमति नहीं बन जाती, तनातनी काफी समय तक रह सकती है। दूसरे शब्दों में, काफी कठिन मौसम के बाद भी दोनों देश सर्दी में भी टिकने की तैयारी में हैं।
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