मुंबई: RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमें अपने धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए, भले ही इसके लिए हमें मरना ही क्यों ना पड़े। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है। जब जब हिंदू राष्ट्र की उन्नति होती है, वो धर्म के उन्नति के लिए होती है। अब ईश्वर की इच्छा है कि सनातन धर्म का उत्थान हो। ऐसे में हिंदुस्तान का उत्थान निश्चित है। वे नागपुर में 'धर्मभास्कर' पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे।
साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि विश्व के सार को धारण करने वाला भारत सदा अमर एवं अपराजित रहा है। धर्म इस देश का सत्व (प्रकृति) है, सार है। सनातन धर्म, हिंदू राष्ट्र है जब भी हिंदू राष्ट्र का उत्थान होता है तो वह देश के लिए होता है। धर्म का दायरा बहुत बड़ा है जिसके बगैर जीवन नहीं चल सकता। उन्होंने कहा कि अनुकूल हालातों में सब ठीक रहता है मगर विपरीत हालातों में हम संतों को याद करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मोहन भागवत ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत के 'सत्व' को दूर करने के लिए एक नई शिक्षा प्रणाली आरम्भ की एवं देश गरीब हो गया। धर्म इस देश का सत्व है एवं सनातन धर्म हिंदू राष्ट्र है। हिंदू राष्ट्र जब-जब उन्नति करता है, उस धर्म के लिए ही प्रगति करता है तथा अब यह भगवान की इच्छा है कि हिन्दू धर्म का उदय हो एवं इसलिए हिंदुस्तान का उत्थान निश्चित है।
भागवत ने कहा कि धर्म सिर्फ एक पंथ, संप्रदाय या पूजा का एक रूप नहीं है। धर्म के मूल्य, यानी सत्य, करुणा, शुद्धता और तपस्या समान रूप से अहम हैं। उन्होंने कहा कि कई आक्रमणों के बाद भी भारत दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक बना हुआ है क्योंकि यहां के लोगों ने 'धर्म के सत्व' को बनाए रखा है। भागवत ने दावा किया कि भारत 1,600 सालों तक आर्थिक तौर पर नंबर एक पर था तथा बाद में भी इसे पहले 5 देशों में स्थान मिला। मगर 1860 में एक आक्रमणकारी (ब्रिटिश) ने 'सत्व' के महत्व को समझा तथा उस 'सत्व' को नष्ट करने के लिए एक नई शिक्षा प्रणाली का आरम्भ किया। RSS प्रमुख ने कहा कि योजनाएं इसलिए बनाई गईं जिससे भारतीय एक साथ आकर वापस ना लड़ें तथा इसके परिणामस्वरूप देश की वित्तीय स्थिति खराब हो गई।
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