कोलकाता: पश्चिम बंगाल के गवर्नर सी वी आनंद बोस ने आज कहा कि उन्हें कोलकाता स्थित राजभवन में तैनात कोलकाता पुलिस की मौजूदा टुकड़ी के कारण अपनी सुरक्षा को खतरा होने की आशंका है। उनका यह बयान पुलिस कर्मियों को राजभवन परिसर खाली करने का आदेश देने के कुछ दिनों बाद आया है। हालांकि, गवर्नर के आदेश के बावजूद कोलकाता पुलिस राजभवन में डटी हुई है।
जब फैक्ट फाईडिंग टीम,बंगाल के कूचबिहार पहुची तो,एक महिला ने रोते हुए बताया की, टीएमसी के जीतने के बाद,सीताई विधानसभा में एक नेता ने उसके साथ बलात्कार किया,क्योंकि वो चुनाव में भाजपा के साथ थी। राजनीतिक हिंसा एवं बलात्कार वैध बन गया है क्या #बंगाल में? भयावह है ये! शेख शाहजहां… pic.twitter.com/WEGQN6WqTQ
— Monu kumar (@ganga_wasi) June 18, 2024
राज्यपाल बोस ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि, "मेरे पास यह मानने के कारण हैं कि वर्तमान प्रभारी अधिकारी और उनकी टीम की उपस्थिति मेरी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा है।" उन्होंने कहा कि, "मैंने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बताया है कि मैं राजभवन में कोलकाता पुलिस से असुरक्षित महसूस कर रहा हूं, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।" राज्यपाल भवन के सूत्रों ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने राज्य सरकार से शिकायत की है कि राजभवन में तैनात पुलिसकर्मी लगातार जासूसी कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि वे बाहर से आए "प्रभावशाली लोगों" के कहने पर ऐसा कर रहे हैं। इससे पहले गवर्नर ने बंगाल पुलिस को राजभवन छोड़कर जाने का आदेश दिया था, क्योंकि वे (पुलिस) हिंसा पीड़ितों को गवर्नर से मिलने नहीं दे रहे थे।
अल्ताबेरिया डिस्ट्रिक्ट डायमंड हारबर में हम लोग धरने पर बैठे हैं। @MamataOfficial के भतीजे अभिषेक बनर्जी की संसदीय क्षेत्र में अल्ताबेरिया गाँव लोग छोड़कर भाग गए हैं, जो अधिकतर दलित हैं। ऐसा हिंसा का तांडव हमने नहीं देखा, जैसा बंगाल में हो रहा है ।@BJP4Bengal @BJP4India pic.twitter.com/UC9ceJ1GDW
— Brij Lal (@BrijLal_IPS) June 18, 2024
गवर्नर बोस ने हिंसाग्रस्त इलाकों में जाने की भी कोशिश की, लेकिन कहीं, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कार्यकर्ताओं ने उनका रास्ता रोककर प्रदर्शन किया, तो कहीं बंगाल पुलिस ने ही धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए उन्हें जाने नहीं दिया। कुछ जगह गवर्नर पीड़ितों से मिले, तो उनकी बातें सुनकर गवर्नर ने स्थिति को भयावह बताया। इसके बाद गवर्नर ने राजभवन को ही 'जन मंच; बनाने का ऐलान कर दिया, जहाँ कोई भी पीड़ित आकर अपनी बात रख सकता था, लेकिन बंगाल पुलिस ने पीड़ितों को गवर्नर तक पहुँचने ही नहीं दिया। अब गवर्नर खुद कह रहे हैं कि, बंगाल पुलिस के पहरे के बीच वे सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और उन्हें ख़तरा है। ये एक बहुत बड़ी घटना है, क्योंकि देश में जिस प्रकार राष्ट्रपति होते हैं, उसी प्रकार राज्यों में गवर्नर का पद होता है। गवर्नर पर ये देखने की जिम्मेदारी होती है कि, राज्य सरकार देश के संविधान में दिए गए अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है या नहीं। यदि ऐसा नहीं होता, तो गवर्नर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं। बंगाल में गवर्नर कई बार बोल चुके हैं कि, राज्य में संविधान की धज्जियाँ उड़ाई जा रहीं हैं, कोलकाता हाई कोर्ट यह बात दोहरा चूका है कि, 'हम हर दिन हिंसा की खबरें सुन रहे हैं, आखिर बंगाल पुलिस क्या कर रही है ?' अब गवर्नर ने अपनी सुरक्षा को ही खतरा बता दिया है, अब जब राज्य के प्रथम व्यक्ति की ही सुरक्षा को खतरा हो, तो आम जनता की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। दावा है कि, हज़ारों की संख्या में दलित परिवार गाँव छोड़कर पलायन कर चुके हैं, लेकिन देश का एक भी दलित नेता उनकी आवाज़ उठाने को तैयार नहीं है, आखिर इसका क्या कारण हो सकता है ?
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