हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से गाजा पट्टी में चल रहे संघर्ष को रोकने और संघर्ष विराम की गुजारिश करें। ओवैसी की यह अपील गाजा में हिंसा और फिलिस्तीनी नागरिकों की जान-माल के नुकसान के बीच आई है, जिसमें कई लोग विस्थापित हो चुके हैं।
तेलंगाना के निजामाबाद में एक जनसभा में ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, "मोदी जी नेतन्याहू को समझाओ, सीजफायर करो, 12-15 लाख फिलिस्तीनी बेघर हो गए।" हालाँकि, सीजफायर की अपील करने के तुरंत बाद ही ओवैसी ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा कि, 'फिलिस्तीन के लोग मौत से नहीं डरते, वहां का अगर एक बच्चा भी रहेगा, तो वो भी पत्थर उठाकर कहेगा, अल्लाहु अकबर।' ओवैसी ने यह बयान उस समय दिया, जब इजरायल के हमलों में बच्चों सहित हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इस संघर्ष में अब तक 41,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
इजरायल की रक्षा बलों (IDF) ने रविवार को जानकारी दी कि उत्तरी गाजा से दक्षिणी इजरायल पर रॉकेट दागे गए हैं। ये हमले हमास द्वारा पिछले साल किए गए 7 अक्टूबर के हमले की वर्षगांठ से ठीक पहले हुए, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। इजरायली सेना ने कहा कि इनमें से एक रॉकेट को रोका गया, जबकि अन्य खुले क्षेत्रों में गिरे। इस बीच, दुनिया भर में लोग सड़कों पर उतर आए और गाजा में हो रही हिंसा को रोकने की मांग की। लंदन, पेरिस, रोम, मनीला, केप टाउन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में फिलिस्तीनी समर्थन में प्रदर्शन हुए। लंदन में करीब 40,000 लोगों ने गाजा में संघर्ष को समाप्त करने के लिए मार्च किया।
वाशिंगटन डीसी में प्रदर्शनकारी इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों के खिलाफ विरोध जताने के लिए व्हाइट हाउस के पास इकट्ठा हुए। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में भी प्रदर्शनकारियों ने इजरायल के खिलाफ हथियार प्रतिबंध की मांग की और गाजा व लेबनान के समर्थन में नारे लगाए।
इजराइल और फिलिस्तीन में जंग कैसी ?
बता दें कि इजराइल-फिलिस्तीन का मसला बहुत हद तक भारत-पाकिस्तान जैसा ही है। भारत 1947 में आज़ाद हुआ बंटवारे के साथ और पाकिस्तान का जन्म हुआ, वैसे ही 1948 में अंग्रेज़ों ने फिलिस्तीन को छोड़ा और वहां पर यहूदियों के लिए एक नया देश इजराइल बना दिया। आज इजराइल, दुनियाभर के 1 करोड़ यहूदियों का एकमात्र देश है। हालाँकि, तथ्य ये है कि यहूदी उस धरती पर पिछले 4000 वर्षों से रहते आ रहे हैं। लगभग 3000 वर्ष पूर्व बने यहूदी मंदिर टेम्पल माउंट की पश्चिमी दिवार आज भी यरूशलम में मौजूद है। ये मंदिर यहूदियों ने तब बनाया था, जब ना ईसाई थे और ना ही इस्लाम था। इससे स्पष्ट होता है कि, वो स्थान यहूदियों का पुश्तैनी स्थान है। यहाँ तक कि बाइबिल में भी उस जगह को ईश्वर द्वारा यहूदियों को दी गई जमीन 'इजराइल' के नाम से उल्लेखित किया गया है। खुद, ईसा मसीह भी एक यहूदी थे।
लेकिन, 700 ईस्वी में इस्लाम के उदय के बाद जब अरबों का आक्रमण शुरू हुआ, तो मध्य पूर्व के अन्य देशों के साथ इजराइल भी उसकी चपेट में आया। जैसे पारसियों का देश पर्शिया इस्लामी आक्रमण के बाद ईरान बना, वैसे ही इजराइल के साथ हुआ, और वो फिलिस्तीन बन गया और सैकड़ों सालों के बाद उसने वापस अपनी जमीन पर रहना शुरू किया, जिसे मुसलमान फिलिस्तीन कहने लगे थे। लेकिन, शुरुआत में तो मक्का-मदीना में भी यहूदी रहा करते थे। कुरान खुद कहती है कि, पैगबर मोहम्मद और उनके अनुयायियों ने वहां से यहूदियों को मार-मारकर भगाया, और कइयों को क़त्ल कर दिया। इन लड़ाइयों में ग़ज़वा-ए-बनू क़ुरैज़ा, ग़ज़वा-ए-बनी क़ैनुक़ाअ़, ख़ैबर की लड़ाई जैसे युद्ध शामिल हैं। जब यहूदियों के खिलाफ मुसलमानों ने जंग छेड़ी और उनको अपना घर बार छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर दिया। उस समय फिलिस्तीन का नामो निशान नहीं था, और ना ही ये दावा था कि इजराइल ने हमारी जमीन पर कब्ज़ा कर लिया है और इसलिए हम लड़ रहे हैं। दरअसल, यहूदियों से लड़ना इस्लामिक धार्मिक किताबों में लिखा हुआ है।
हदीस की किताब सहीह बुखारी में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि, "क़यामत उस समय तक नहीं आएगी, जब तक तुम यहूदियों से युद्ध न कर लो और यहाँ तक कि जिस पत्थर के पीछे यहूदी छुपा हो वह न कहे कि ए मुसलमान! यह मेरे पीछे यहूदी छुपा है, इसकी हत्या कर दो।" अब ये किताब 1948 के बाद तो लिखी नहीं गई, जब फिलिस्तीन-इजराइल में जमीनी विवाद शुरू हुआ और जिसका हवाला देकर आज खुद को पीड़ित और इजराइल को कब्जाधारी दिखाया जाता है। जबकि, इजराइल तो इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के जन्म के पहले से ही यहूदियों की पुण्यभूमि रही है।
अब इसे भारतीय नज़रिए से देखें, तो 1947 में भारत का बंटवारा हुआ, मुसलमानों की मांग पर उन्हें पाकिस्तान दे दिया गया, यहाँ तक कि भारत की भी 9 लाख एकड़ जमीन कांग्रेस सरकार के कानून से वक्फ की हो गई। लेकिन क्या पाकिस्तान को संतुष्टि हुई ? पैसों की पहली किश्त मिलते ही उसने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और काफी हिस्सा कब्जा भी लिया और आज भी वो बाकी कश्मीर के लिए लड़ता रहता है। जो पाकिस्तान, खुद भारत की जमीन छीनकर बना है, उसका ये आरोप है कि भारत ने कश्मीर की जमीन पर कब्जा कर रखा है। ये ठीक वैसा ही है, जैसे फिलिस्तीनी, हिज्बुल्ला, हमास और आतंकी संगठन कहते हैं कि इजराइल ने उनकी जमीन कब्जा रखी है। जबकि पहले से वहां इजराइल था, बीच में कुछ समय के लिए इस्लामी शासन आया और फिर यहूदियों ने अपनी जमीन ले ली। लेकिन जिस तरह फिलिस्तीन और हमास आए दिन इजराइल पर रॉकेट वगैरह दागते रहते हैं, वैसे ही पाकिस्तान आए दिन भारतीय सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन करता रहा है, और कश्मीर में आतंकवाद भड़काता रहता है। पहले भारत सरकार उसकी शिकायतें लेकर संयुक्त राष्ट्र (UN) में गुहार लगाया करता था, लेकिन अब भारत ने आतंकियों को उसी की भाषा में जवाब देना सीख लिया है। हालाँकि, इजराइल शुरू से ही ये बात सीखा हुआ था, जब उसके बनने के तुरंत बाद ही 6 इस्लामी देशों ने एकसाथ उस पर आक्रमण कर दिया था, अगर वो ना लड़ता, तो आज नक़्शे में इजराइल कहीं नहीं होता।
“भारत को Invade करके गजवा-ए-हिंद का सपना पूरा होगा”-शोहेब अख़्तर
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) December 30, 2020
पाकिस्तानी के हर तथाकथित पढ़े-लिखे नेता/गायक/खिलाड़ी/अफ़सर के दिमाग में जिहाद का ज़हर भरा है !
भूखे-नंगों अनारकली के बच्चों को बॉलीवुड/IPL कमेंट्री का मौक़ा देते हैं और ये हमारे ही पैसों से जिहाद की तैयारी pic.twitter.com/XFy1h2zfq8
इजराइल के खिलाफ लड़ने के लिए आतंकी जिस विचारधारा का इस्तेमाल करते हैं, भारत के खिलाफ भी वैसी ही जंग इस्लामी किताबों में लिखी है, जिसे कट्टरपंथी ग़ज़वा-ए-हिन्द कहते हैं। आतंकियों की बात छोड़ भी दें, तो एक आम मुसलमान, और जाना माना क्रिकेटर शोएब अख्तर खुद एक इंटरव्यू में कह चुका है कि, उनकी किताबों में लिखा है कि ''इस्लामी फौजें पहले कश्मीर फतह करेंगी, अटक का दरिया खून से दो बार लाल हो जाएगा (यानी इतना खून-खराबा होगा) और फिर वो हिंदुस्तान को फतह करेंगी।'' इसे ही ग़ज़वा ए हिन्द कहते हैं, जब भारत को इस्लामी झंडे के नीचे लाया जाएगा। लेकिन भारत ने तो किसी की जमीन नहीं छीनी, फिर क्यों ? क्योंकि, आतंकियों का मानना है कि, भारत ने मुस्लिमों की धरती पर कब्जा कर रखा है, और उसे आज़ाद कराने के लिए वो लड़ते रहते हैं।
यासीन मलिक, बुरहान वानी, बिट्टा कराटे ये कुछ नाम हैं, जो अधिकतर भारतीय कश्मीरी लोगों के लिए हीरो हैं। जैसे नसरल्लाह, हमास, वहां के लोगों के लिए हीरो हैं। क्योंकि, वो अपनी जमीन और मजहब के लिए लड़ रहे हैं। जब हमास-हिजबुल्लाह कहते हैं कि, इजराइल ने उनकी जमीन हड़प रखी है, तो भारत-पाकिस्तान के आतंकी और कुछ राजनेता उसकी हाँ में हाँ मिलाते हैं। वहीं जब भारत-पाकिस्तान के आतंकी कश्मीर को आज़ाद कराने की बात करते हैं, तो हमास-हिजबुल्लाह उनका समर्थन करते हैं। अभी हाल ही में भारत के हज़ारों मुस्लिमों ने हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का मातम मनाया था और 'हर घर से नसरल्लाह' निकलेगा के नारे लगाए थे क्योंकि वो उसे अपने देश की आज़ादी के लिए लड़ने वाला योद्धा मानते हैं। अब सोचने वाली बात ये है कि, अगर पाकिस्तानी आतंकी, यही जमीन और आज़ादी वाली ढकोसला भरी बातें करके, भारत पर हमला करते हैं,, तो भारतीय मुसलमान किसका साथ देंगे ? क्योंकि, नसरल्लाह होता, तो पाकिस्तानी आतंकियों का ही साथ देता और हिजबुल्लाह-हमास भी उनके समर्थन में ही हैं।
शौच के लिए निकली 2 सहेलियों के साथ जंगल में-दरिंदगी, अगले दिन इस-हालत में मिली
'10-महीने की बच्ची के मुहं में माँ ने डाली मिर्च और...', मामला जानकर काँप उठेगी-रूह
'गोल्ड स्मगलिंग में मुसलमान ही क्यों पकड़े जा रहे..', केरल विधायक के बयान पर बवाल