भले ही तमिलनाडु में एल।मुरुगन अब केंद्रीय मंत्री बन गए हैं, मगर उनके वृद्ध माता-पिता अपना गुजारा करने के लिए जमीन पर श्रम कर रहे हैं। लोगनाथन एवं वरुदम्मल, सूचना प्रसारण राज्य मंत्री एल। मुरुगन के माता-पिता हैं, जो मत्स्य पालन, पशुपालन तथा डेयरी सेक्टर में काम करते हैं। वही एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह दंपति नमक्कल जिले के कोनूर गांव (यहां से तकरीबन 400 किलोमीटर दूर) में रहते हैं तथा स्वतंत्र तौर पर अपनी जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दलित उप संप्रदाय अरुंथथियार समुदाय से संबंध रखने वाली जोड़ी एक छोटे से घर में रहते हैं।
वही जब उन्होंने सुना कि उनका बेटा मुरुगन केंद्रीय मंत्री बनने वाला है, तब वह एक खेत में कृषि कर रहे थे। वरुदम्मल(केंद्रीय मंत्री की मां) ने एक पत्रकार को कहा कि उन्होंने अपने बेटे के करियर को आगे बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया, हालांकि उन्हें अपने बेटे के हालात पर गर्व महसूस हुआ। माता-पिता ने अपने बेटे के अध्ययन के लिए धनराशि उधार ली थी, जिसे उन्होंने मुरुगन पर खर्च किया। अधिवक्ता-सह-राजनेता मुरुगन ने यहां के डॉ। अम्बेडकर लॉ कॉलेज से कानून का अध्ययन किया।
इसके साथ ही वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी संबंधित एक अधिवक्ता के तौर पर वह भाजपा के लिए कई मामलों में पेश हुए हैं। उनके बेटे के राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश प्रमुख बनने या केंद्रीय मंत्री बनने के पश्चात् दंपति ने अपना बर्ताव नहीं बदला है। मगर वे आजाद रहने के अपने लक्ष्य को लेकर संकल्पित हैं। एक ग्रामीण के मुताबिक, लोगनाथन राज्य सरकार द्वारा दी गई कोरोना मदद प्राप्त करने के लिए लाइक में खड़े थे। मुरुगन बचपन से ही अध्ययनशील थे, उनके पिता ने बताया। उन्होंने चेन्नई के अंबेडकर लॉ कॉलेज में कानून का अध्ययन करने से पहले सरकारी विद्यालयों में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।
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