NSE की पूर्व MD तथा सीईओ चित्रा रामकृष्णा ने 'हिमालय में रहने वाले एक योगी' के बोलने पर आनन्द सुब्रमण्यम की नियुक्ति एक्सचेंज के ग्रुप ऑपरेटिंग अधिकारी तथा MD एक एडवाइजर के तौर पर की. मार्केट रेगुलेटर SEBI के एक ऑर्डर में ये बताया गया है. SEBI के आदेश में बताया गया है कि रामकृष्णा ने सुब्रमण्यम को कई बार मनमाने तरीके से सैलरी हाईक दी जबकि उनके परफॉर्मेंस के मूल्यांकन का कोई सबूत उपस्थित नहीं है.
शुक्रवार को पास किए गए ऑर्डर में ये बातें सामने आईं. रेगुलेटर ने रामकृष्ण तथा अन्य के विरुद्ध ऑर्डर पास किया है. ऑर्डर में बताया गया है कि रामकृष्ण ने NSE के कुछ वित्तीय तथा बिजनेस प्लान, डिविडेंड से संबंधित बातें, वित्तीय परिणाम तथा कुछ अन्य गोपनीय सूचनाएं योगी के साथ साझा कीं. इतना ही नहीं NSE के कर्मियों के अप्रेजल को लेकर भी उन्होंने योगी से विचार-विमर्श किए.
वही योगी को रामकृष्णा “Sironmani” के तौर पर रेफर करती हैं तथा बीते 20 वर्षों से हर प्रकार के पर्सनल एवं प्रोफेशल मामले पर उनके पक्ष के आधार पर फैसले लेती रही हैं. रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 के बीच NSE की प्रबंधक निदेशक तथा सीईओ रही थीं. SEBI ने अपने 190 पेज के ऑर्डर में बताया है कि रामकृष्णा ने योगी के बोलने पर सुब्रमण्यम की नियुक्ति की. इस कारण ही सुब्रमण्यम को बहुत ज्यादा अधिकार दिए गए थे. सुब्रमण्यम को NSE में अप्रैल 2013 में चीफ स्ट्रेटेजी एडवाइजर के रूप में ज्वाइन करने का ऑफर प्राप्त हुआ था. उन्हें 1.68 करोड़ का सालाना पैकेज ऑफर किया गया था.
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