विश्व रेड क्रॉस डे हर वर्ष 8 मई को मनाया जाता है, भारत में वर्ष 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का गठन हुआ, तब से रेडक्रॉस के स्वंय सेवक विभिन्न प्रकार के आपदाओं में निरंतर निस्वार्थ भावना से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसकी शुरुआत का एक बहुत ही प्रेरक किस्सा इतिहास के पन्नों में दर्ज है.
उन दिनों इटली और ऑस्ट्रेलिया के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था, जीतने की धुन में आगे बढ़ते सैनिक एक दूसरे को मारने के लिए पूरी तरह तैयार थे, लेकिन मरने वालों और घायलों की किसी को भी चिंता नहीं थी. उस समय घायलों को दयनीय दशा में पड़े रहने के अलावा कोई चारा न था, इस समस्या को देखते हुए जेनेवा बैंक के एक कर्मचारी जीन हैनरी डूमा ने भावनापूर्ण मनःस्थिति से विचार किया और तुरंत एक उपाय सोचा. उन्होंने सबसे पहले तो अपनी नौकरी छोड़ी, फिर फ्रांसीसी डालजीरिया में एक फार्म खरीदा और दोनों पक्षों से संपर्क साधकर इस बात पर सहमत किया कि घायलों की चिकित्सा और मृतकों की अंत्येष्टि की सुविधा उन्हें दी जाए.
इस प्रयास का नाम रखा गया रेडक्रॉस, उसका आरंभ तो छोटे रूप में हुआ, लेकिन आए दिन होने वाले युद्धों में उसकी उपयोगिता बहुत बढ़ गई, अनेक देशों की सरकारों ने रेडक्रॉस को सहयोग दिया. एक आचार संहिता बनी की युद्ध क्षेत्र में घायलों को उठाने के लिए जाने वाले रेडक्रॉस वाहनों को कोई नहीं रोकेगा, इसका श्रेय डूमा को जाता है, जिन्हें बाद में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया. आज रेडक्रॉस बहुत ही सम्मानजनक स्थिति में है और दुनिया के कई देशों में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराती है.
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