नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर हर दिन 8,000 से अधिक लोग मर रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस सदी के अंत तक फेसबुक दुनिया का सबसे बड़ा वर्चुअल कब्रिस्तान बन जाएगा, क्योंकि यहां जिंदा लोगों से अधिक मृत लोगों की प्रोफाइल होगी. फेसबुक कई सारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में से केवल एक प्लेटफॉर्म है. इसके अलावा करोड़ों उपयोगकर्ता ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, स्नैपचैट, रेडिट और अन्य एप्स भी इस्तेमाल करते हैं.
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फेसबुक के करीब दो अरब उपयोगकर्ता हैं, व्हाट्सएप के 1.5 अरब, इंस्टाग्राम के एक अरब और ट्विटर के 33.6 करोड़ उपभोक्ता हैं, जिनमें करोड़ों उपभोक्ता भारत से हैं. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपना अधिकतर समय बिताने के बाद भी, हममें से कुछ लोग वास्तव में यह विचार करते हैं कि हमारे मरने के बाद हमारे सोशल मीडिया एकाउंट्स का क्या होगा.
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यह बड़ा सवाल है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के उपभोक्ता की मौत हो जाने के बाद प्लेटफॉर्म को उसके खाते पर शेयर निजी तस्वीरें, वीडियोज और फ्रेंड्स की पोस्ट जैसी डिजिटल सम्पत्तियां उसके परिवार को स्थानांतरित करने की आवश्यकता का पता कैसे चलेगा. देश के शीर्ष सायबर विधि विशेषज्ञों में से एक पवन दुग्गल बताते हैं कि जब किसी ईमेल और सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले की मृत्यु हो जाती है, तो ये स्थानांतरण योग्य संपत्ति हैं और संबंधित व्यक्ति का कोई वारिस उन्हें चलाने की इजाजत ले सकता है.
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