दुनिया की अग्रणी सोशल नेटवर्किग कंपनी Facebook ने अपने फोटो और विडियो मैचिंग टेक्नॉलजी को लोगों के लिए ओपेन-सोर्स कर दिया है, जिससे इसे सभी इस्तेमाल कर सकें. साथ इसकी मदद से यूजर्स हानिकारक कॉन्टेंट की पहचान कर सकें जैसे कि बाल शोषण, आतंकवादी प्रचार और ग्राफिक हिंसा. फेसबुक की इन दो तकनीकों से नकली विडियो और फोटो की पहचान की जा सकेगी.फेसबुक पर इंटीग्रिटी के उपाध्यक्ष गाय रोसेन ने एक बयान में कहा, 'ये ऐल्गोरिदम GitHub पर उपलब्ध होंगे ताकि हमारे इंडस्ट्री पाटनर्स, छोटे डिवेलपर्स और गैर लाभकारी सभी अधिक आसानी से अपमानजक तथ्यों की पहचान कर सकें और इस तरह के कॉन्टेंट के डिजिटल फिंगरप्रिंट्स को शेयर कर सकें. आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से
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अपने एक बयान में ग्लोबल हेड ऑफ सेफ्टी एंटीगॉन डेविस ने कहा, 'उन लोगों के लिए जो पहले से ही अपनी या किसी और कॉन्टेंट मैचिंग तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके लिए यह तकनीक सुरक्षा की एक और लेयर है जो हैश-शेयरिंग सिस्टम को एक-दूसरे से बात करने की अनुमति देता है और सिस्टम को और भी अधिक शक्तिशाली बनाता है.'अमेरिका में नैशनल सेंटर फॉर मिसिंग ऐंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (एनसीएमईसी) के अध्यक्ष और सीईओ जॉन क्लार्क के अनुसार, केवल एक साल में उन्होंने टेक इंडस्ट्री द्वारा साइबर टिपलाइन को रिपोर्ट किए गए बाल यौन शोषण विडियो की संख्या में 541 प्रतिशत की वृद्धि देखी. क्लार्क ने कहा, 'हम विश्वास है कि इस ओपेन-सोर्स तकनीक के फेसबुक के उदार योगदान से बाल यौन शोषण पीड़ितों की पहचान और उनका बचाव अधिक से अधिक करने में मदद मिलेगी.'
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दस साल पहले बाल शोषण से लड़ने के लिए माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित की गई तकनीक फोटो डीएनए और हाल ही में गूगल द्वारा 'कॉन्टेंट सेफ्टी एपीआई' के लॉन्च के साथ अब फेसबुक की यह घोषणा एक सुरक्षित इंटरनेट के निर्माण के लिए उद्योग व्यापी प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है. 'PDQ' और 'TMK+PDQF' के नाम से जानी जाने वाली ये तकनीक हानिकारक सामग्रियों की पहचान करने के लिए फेसबुक पर उपयोग किए जाने वाले टूल्स का एक हिस्सा है.ये तकनीक शॉर्ट डिजिटल हैशेज के रूप में फाइल्स को स्टोर करने का एक प्रभावी तरीका है जिससे यह पहचाना जा सकेगा कि दो फाइलें समान या एक जैसी है या नहीं और ऐसा करने के लिए असली विडियो या तस्वीर की जरूरत भी नहीं है। फेसबुक ने कहा है कि अन्य कंपनियों और गैर लाभकारियों संग हैशेज को और से आसानी से साझा किया जा सकेगा.
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