फेसबुक ने खुद का सुप्रीम कोर्ट बना लिया है। जी हां, सुनने में थोड़ा अजीब है, लेकिन यह सच है कि फेसबुक ने एक ओवरसाइट बोर्ड का गठन किया है जिसे फेसबुक का सुप्रीम कोर्ट कहा जा रहा है। फेसबुक का यह बोर्ड फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और ह्यूमन राइट्स के आधार पर फैसले करेगा। साथ ही आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर तुरंत फैसला सुनाएगा।फेसबुक के ओवरसाइट बोर्ड का मुख्य काम फेसबुक और इंस्टाग्राम के कंटेंट पर नजर रखना और विवादित कंटेंट पर कम समय में फैसले देना है।
ऐसा माना जा रहा है कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज को रोकने और माहौल को साफ-सुथरा रखने के लिए फेसबुक ने यह फैसला लिया है। इस बोर्ड के गठन के बारे में फेसबुक ने साल 2018 में ही जानकारी दी थी।ओवरसाइट बोर्ड ही तय करेगा कि फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कौन-सा कंटेंट रहेगा और कौन-सा नहीं। इसके अलावा फेसबुक और इंस्टाग्राम पर मौजूद किस कंटेंट को हटाना है और किसे नहीं, इसका फैसला भी यही बोर्ड लेगा।
इस बोर्ड में द गार्जियन अखबार के पूर्व संपादक एलन रुसिबेरगर और पूर्व न्यायाधीश और यूरोपीय न्यायालय ऑफ ह्यूमन राइट्स के वीपी शामिल हैं। इसके अलावा इस बोर्ड में डेनमार्क के पूर्व प्रधानमंत्री, हेल थोरिंग-श्मिट भी शामिल हैं।इंस्टाग्राम और फेसबुक पर मौजूद पेज, प्रोफाइल, ग्रुप और विज्ञापनों को लेकर सभी तरह के विवादों की निपटारा भी ओवरसाइट बोर्ड ही करेगा। इस बोर्ड में कुल 20 लोग हैं। किसी भी मामले का निपटारा यह बोर्ड अधिकतम 90 दिनों में करेगा।
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