फेसबुक के उपाध्यक्ष और मार्क जुकरबर्ग के करीबी एंड्रू बोसवर्थ का बयान जोकि मेमो ( लिखित) रूप में है. डेटा एक लीक मामले में नए विवाद का कारण बन गया है. ‘द अग्ली’ नाम से 2016 में लिखे गए इस मेमो में बोसवर्थ ने कहा है कि फेसबुक से लोगों की मौतें हो सकती हैं. यहां तक कि किसी आतंकी हमले की साजिश में फेसबुक मददगार साबित हो सकता है, लेकिन लोगों को जोड़ने के मिशन में ये एक छोटी बात है. मेमो के सामने आने के बाद कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने बृहस्पतिवार को बयान जारी कर सफाई दी है.
जकरबर्ग ने लिखा कि बोसवर्थ एक प्रतिभाशाली शख्स हैं, लेकिन वे बहुत कुछ भड़काने वाला बोलते हैं, उनके मेमो से फेसबुक के कई लोग असहमत हैं. मैं भी बोसवर्थ के मेमो से सहमत नहीं हूं. दरअसल, हम मानते हैं कि लोगों को जोड़ना ही सब कुछ नहीं है, बल्कि उन्हें करीब लाना ज्यादा जरूरी है,कंपनी इसी मिशन पर काम कर रही है. वहीं अपने मेमो पर सफाई देते हुए बोसवर्थ ने बृहस्पतिवार को कहा कि जब मैंने इस पोस्ट को लिखा तब भी इससे असहमत था और आज भी हूं.
उन्होंने दावा किया कि मेमो को लिखने का नजरिया उन मुद्दों को सामने लाना था जिन पर हमें चर्चा करने की जरूरत है. गौरतला है की फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक डेटा लीक पर सार्वजानिक रूप से गलती स्वीकारते हुए माफ़ी मांगी थी.
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