नई दिल्लीः देश में विज्ञापनदाताओं द्वारा भ्रामक विज्ञापन देने की संख्या बढ़ती जा रही है। ये विज्ञापन नियामक भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआइ) के आंकड़ों से समझ में आता है। एएससीआइ ने बताया कि मई में उसे 231 विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतें मिली। इसमें से 67 को खारिज कर दिया गया। एएससीआइ के अंदर स्वतंत्र तौर पर काम करने वाली उपभोक्ता शिकायत परिषद (सीसीसी) ने 164 विज्ञापनों का विश्लेषण किया और उनमें से 132 विज्ञापनों के खिलाफ की गई शिकायतों सही थीं।
इसमें 69 शिकायतें शिक्षा, 41 स्वास्थ्य, दो सौंदर्य प्रसाधन, चार खाद्य एवं पेय और 16 अन्य श्रेणियों के विज्ञापनों से जुड़ी हैं। एएससीआइ ने अपनी रिपोर्ट में संतूर एलो फ्रेश साबुन, एपल के आइफोन एक्सएस और कई अन्य विज्ञापनों को भ्रामक पाया है। मांडलेज इंडिया के उत्पाद टैंग के विज्ञापन में दावा किया गया है कि बच्चों को आठ ग्लास पानी पीना चाहिए जो एक कठिन काम है, मगर टैंग से यह मुमकिन है। इस विज्ञापन से यह भ्रम फैलता है कि बच्चों को आठ ग्लास टैंग पीना चाहिए।
इसे लेकर एएससीआइ ने चिंता जताई है कि यह विज्ञापन उत्पाद को पानी के विकल्प के तौर पर पेश करता है। इसलिए यह विज्ञापन भ्रामक है। टाटा ग्लोबल बेवरेजेज की टेटले ग्रीन टी के प्रिंट एड में दावा किया गया है एक ऊर्जावान लाइफ जीने के लिए 10 में से नौ लोग ग्रीन टी पीना ‘पसंद’ करते हैं, जबकि इसी के टेलीविजन एड में पसंद करने की जगह ‘परामर्श देने’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
यह विरोधाभास को दिखाता है। इसके अतिरिक्त विज्ञापन में अन्य ब्रांड उत्पादों के नमूने अथवा उपभोक्ताओं के आंकड़े भी नहीं दिखाए गए हैं। इसके अतिरिक्त एड से लगता है कि ऊर्जावान लाइफ के लिए अकेला यह एक उत्पाद काफी है, जो भ्रामक है। हालांकि संसद ने इस संबंधित एक कड़ा कानून पास किया है। जो ऐसे विज्ञापनों पर सख्ती करेगा।
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