कोच्ची: विख्यात मलयालम कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अक्कितम अच्युतन नंबूदरी का गुरुवार को केरल के त्रिशूर में देहांत हो गया। वह 94 वर्ष के थे। अक्कितम का जन्म 8 मार्च 1926 को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था और बचपन से ही साहित्य और कला के प्रति उन्हें गहरा लगाव था। कविता के अतिरिक्त अक्कितम ने नाटक और उपन्यास भी लिखे हैं।
पद्म पुरस्कार से नवाज़े गए अक्कितम को सहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (दो बार) मातृभूमि पुरस्कार, वायलर पुरस्कार और कबीर सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। अक्कितम की कविताएँ भारतीय दार्शनिक और सामाजिक मूल्यों को जोड़ती हैं जो आधुनिकता और परंपरा के बीच एक सेतु का काम करती हैं. उन्होंने अब तक 55 पुस्तकें लिखी हैं और उनमें से 45 कविता संग्रह है.
उन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं की रचनाओं का भी अनुवाद किया है. उनकी सबसे मशहूर काव्य पुस्तक 'इरुपदाम नूतनदीदे इतिहसम' है जो पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. उनकी कुछ मशहूर पुस्तकें “खंड काव्य”, “कथा काव्य”, “चरित्र काव्य” और गीत हैं. उनकी कुछ विख्यात रचनाओं में “वीरवाडम”, “बालदर्शनम्”, “निमिषा क्षेतराम”, “अमृता खटिका”, “अक्चितम कवितातक्का”, “महाकाव्य ऑफ ट्वेंटीथ सेंचुरी” और “एंटीक्लेमम” शामिल हैं. आपको बता दें कि उन्हें 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1972 में केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1988 में केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार और कबीर सम्मान से भी नवाज़ा जा चुका है.
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